गुजरात सरकार ने राज्य में धार्मिक आधार पर आबादी के ध्रुवीकरण के आरोपों की जांच के लिए एक जूडिशल कमिशन का गठन किया है। एक आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया कि सरकार ने रिटायर्ड जज बी. जे. सेठना की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया है, जो राज्य में धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण की जांच करेगा। राज्य सरकार के खिलाफ अदालतों के साथ-साथ मीडिया के जरिए आरोप लगाए जाते रहे हैं कि गुजरात में धर्म के आधार पर आबादी का ध्रुवीकरण हो रहा है। सरकार ने अपनी अधिसूचना में कहा है, 'ये आरोप वैज्ञानिक अध्ययन पर आधारित नहीं हैं। ऐसे आरोप और अवैज्ञानिक निष्कर्ष नागरिकों में विभाजन पैदा करते हैं। इसलिए राज्य सरकार का मत है कि लोक महत्व के इस मामले की जांच होनी चाहिए। आयोग से अपनी जांच पूरी कर 31 जनवरी 2011 से पहले रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपने को कहा गया है। इसके दायरे में 15 अगस्त 1947 को अलग-अलग धर्मों को मानने वालों और 15 अगस्त 1947 के हर 10 साल बाद होने वाले धुवीकरण और विस्थापन को मानक रखा गया है। इसके साथ ही राज्य में कुल आबादी, नाम और ऐसे क्षेत्रों के आकार को इसमें शामिल किया गया है। आयोग उन नए आवासीय क्षेत्रों में अलग अलग धर्मों को मानने वाले लोगों का क्षेत्रवार अनुपात और ऐसे क्षेत्रों के आकार की भी जांच करेगा जो 15 अगस्त 1947 के बाद अस्तित्व में आए। अधिसूचना में कहा गया कि आयोग आबादी के ध्रुवीकरण के कारणों की भी तलाश करेगा। इसमें कहा गया कि इससे धुवीकरण रोकने के लिए सिफारिश करने और समुचित नीतियां बनाने को भी कहा गया है। ऐसे किसी आयोग का गठन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि गुजरात में नगरीय क्षेत्र धार्मिक आधार पर गोलबंद माने जाते हैं।
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