सिद्धू अस्पताल प्रकरण में डाक्टरों और भाजपाईयों का विवाद सड़क पर आ गया है। पूर्व घोषित कार्यक्रम के मुताबिक डाक्टरों ने शुक्रवार को स्वास्थ्य सेवाएं ठप रखीं। आईएमए का बत्रा होटल से मिनी सचिवालय तक रोष मार्च डिप्टी कमिश्नर को ज्ञापन सौंपे जाने का ही प्लान था। मामला तब बढ़ा, जब ज्ञापन लेने वाले आला अफसर नदारद थे और जो मौजूद थे, उन्होंने ज्ञापन लेने से इंकार कर दिया। इससे भड़के डाक्टर मिनी सचिवालय के सड़क बीच बैठ गए और एक घंटे तक ट्रैफिक जाम कर दिया। डेढ़ घंटे जाम के बाद एसडीएम प्रेम चंद ने आकर ज्ञापन लेकर जाम खुलवाया। आईएमए के बैनर तले डाक्टर ओपीडी सेवाएं ठप कर शुक्रवार सुबह बत्रा होटल के बाहर एकत्रित हो गए। इसके बाद रोष मार्च करते हुए डाक्टर मिनी सचिवालय पहुंचे। यहां डा.अरुण मित्रा, डा.मनोज सोबती, डा.नरोत्तम दीवान समेत करीब दस सदस्यों का शिष्टमंडल ज्ञापन देने के लिए सचिवालय के भीतर गया। लेकिन वे अफसरों को ढूंढते रहे। थक-हार कर वे डीआरओ पिंकी देवी के दफ्तर में चले गए। डीआरओ ने ज्ञापन लेने से यह कहते हुए मना कर दिया कि वे रेवेन्यू मामले डील करती हैं। शिष्टमंडल एसडीएम पूर्वी के दफ्तर में गया तो वे भी मौजूद नहीं थे। इस पर डाक्टर भड़क गए, उन्होंने नारेबाजी शुरू कर दी। पहले तय हुआ कि डीसी को डाक के जरिए ज्ञापन भेज दिया जाए या फिर डीसी आफिस की दीवार पर ज्ञापन चिपका दिया जाए। इस पर डाक्टरों का एक ‘गर्म दल’ राजी नहीं था। कुछ देर बहस के बाद मिनी सचिवालय के बाहर ट्रैफिक जाम की ‘सर्वसम्मति’ बनी। डाक्टर सड़क के बीचों-बीच बैठ गए। वाहनों की लंबी कतारें लग गई। कैदियों की बस, एंबुलेंस, बसें भी जाम में फंसी रहीं। डाक्टरों ने डिप्टी स्पीकर सतपाल गोसरई के खिलाफ भी नारेबाजी की। इसके अलावा माइक से अनाउंसमेंट कर डीसी को मौके पर पहुंचने के लिए आमंत्रित करते रहे। मामला बिगड़ता देख भारी संख्या में पुलिसबल मौके पर पहुंच गया। आखिरकार पौने एक बजे एसडीएम प्रेम चंद ने धरनास्थल पर पहुंचकर डाक्टरों से ज्ञापन लिया। धरने में डीएमसी के प्रिंसिपल डा.दलजीत सिंह, डा.राजू सिंह छीना, ओसवाल अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डा.सतीश जैन, डा.अमित सोफ्त, पीसीएमएस एसोसिएशन के प्रधान डा.हरदीप सिंह, डा.बलविंदर सिंह, डा.नरजीत कौर समेत शहर के सीनियर डाक्टर भी शामिल थे। ठप रही स्वास्थ्य सेवाएं, मरीज करते रहे इंतजारशुक्रवार को मरीज डाक्टरों का इंतजार करते रहे जबकि मिनी सचिवालय के बाहर जाम में फंसे वाहन चालक भी परेशान हुए। आईएमए की हड़ताल के बाद अब भाजपा की बारी है, जिसने रविवार को सिद्धू अस्पताल घेरने का ऐलान कर रखा है। शुक्रवार को धरने में संबोधन के दौरान कुछ डाक्टरों ने तैश में आकर यहां तक कह दिया कि भाजपा नेताओं ने घेराव के दौरान अस्पताल को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया तो उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। उधर, धरनास्थल के आसपास डिप्टी स्पीकर का एक ‘दूत’ भी पूरे घटनाक्रम पर नजर रखता दिखा। पंजाब में वैसे तो सुबह 9 से 12 बजे तक हड़ताल की कॉल थी। लुधियाना के मिनी सचिवालय में घटनाक्रम की वजह से यहां ओपीडी सेवाएं करीब-करीब पूरा दिन ही बंद रहीं। ओपीडी टाइमिंग दो बजे तक होने की वजह से मरीजों को आस थी कि डाक्टर बारह बजे के बाद ज्वाइन कर लेंगे। ट्रैफिक जाम एक बजे तक खिंच गया। यहां से फ्री होकर भी गर्मी से त्रस्त ज्यादातर डाक्टर ओपीडी में लौट नहीं सके। बड़े अस्पतालों से लेकर र्न्िसग होम्स व क्लीनिकों तक पर बुधवार सुबह कामकाज बंद रहा। डीएमसी के ओपीडी ब्लाक में सन्नाटा छाया रहा। जो मरीज रूटीन चेकअप के लिए आए थे, वे तो खैर वापस लौट गए लेकिन जरूरी जांच के लिए आए मरीज डाक्टरों की हड़ताल खत्म होने का इंतजार करते रहे। सिविल अस्पतालों में भी कामकाज पर ज्यादा असर नहीं पड़ा।
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