गुजरात में 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए सांप्रदायिक दंगों में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के रोल की जांच होगी। गुजरात हाई कोर्ट ने दंगों में मोदी और 62 अन्य के खिलाफ स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) की जांच को चुनौती देने वाली पिटिशन को खारिज कर दिया। यह पिटिशन बीजेपी के पूर्व एमएलए कालू मालिवाड ने दायर की थी। वह जांच के दायरे में आए 62 लोगों में से एक हैं। उनकी मांग थी कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपॉइंट की गई एसआईटी की जांच पर स्टे लगाया जाए और सबकी संभावित गिरफ्तारी पर भी रोक लगे। जस्टिस डी. एच. वाघेला ने पिटिशन को यह कहकर डिसमिस कर दिया कि इस मामले में कोई राहत नहीं दी जा सकती, क्योंकि एसआईटी सीधे सुप्रीम कोर्ट के सुपरविजन में काम कर रही है। एसआईटी की जांच जकिया जाफरी की शिकायत पर शुरू की गई थी। जकिया के पति और पूर्व एमपी अहसान जाफरी दंगों की दौरान गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 39 लोगों में से एक थे। मालिवाड का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को सिर्फ मामले को देखने के लिए कहा था, इसका मतलब यह नहीं निकलता कि वह केस की जांच करें, क्योंकि अब तक इसमें कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। एसआईटी की ओर से सीनियर वकील के.जी.मेनन ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के मुताबिक एसआईटी से जकिया की शिकायत पर सच का पता लगाकर जरूरी कदम उठाने के लिए कहा गया था। शुरुआती जांच की अनुमति दी गई थी, वही एसआईटी कर रही है। अगर इसमें कोई दोषी पाया जाता है तो एसआईटी उसके खिलाफ केस दर्ज कर जांच आगे बढ़ाएगी निशाने पर मोदी दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए पूर्व एमपी अहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने आरोप लगाया था कि मोदी और उनकी कैबिनेट के सहयोगियों, पुलिस अफसरों और आला ब्यूरोक्रैट्स ने गोधरा कांड के बाद हुए दंगों को हवा दी। जकिया ने मांग की कि मोदी और 62 अन्य के खिलाफ नए सिरे से जांच की जाए।
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