विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने संकेत दिया है कि अगर उसके पीछे कोई ठोस तर्क हो तो वह अपने प्रस्तावों में से कुछ को हटा सकते हैं। सिब्बल ने कहा ये सुधार देश के लिए अच्छे हैं। यह सुधार जरूरी है।उन्होंने कहा कि सुधार के मुद्दे को लोक दायरे में रखा गया है और कुछ मंचों पर इस पर पहले ही चर्चा शुरू हो चुकी है। सिब्बल ने कहा कि लोकतंत्र में आम सहमति जरूरी है और यह संभव है कि कुछ विचार आम सहमति के अभाव में हकीकत का रूप न ले सकें।पीएम सुधार के पक्ष मेंप्रधानमंत्री से इस मसले पर सहमति के सवाल पर सिब्बल का कहना था कि खुद बेहद उत्सुक हैं कि शिक्षा क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। दसवीं की परीक्षा को वैकल्पिक बनाने के संबंध में सिब्बल ने कहा कि सरकार इसे केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) में लागू करना चाहती है। इससे करीब 10 हजार स्कूल मान्यता प्राप्त हैं।उन्होंने बताया कि दसवीं बोर्ड की परीक्षा को वैकल्पिक बनाना सीबीएसई में एक साल में लागू किया जा सकता है। यह फैसला मंत्रालय स्तर पर किया जा सकता है और इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं है। ग्रेडिंग प्रणाली के संबंध में अपने प्रस्ताव के बारे में सिब्बल ने कहा -हम देखेंगे कि कितनी तेजी से इस पर अमल किया जा सकता है। सिब्बल ने कहा कि जिन सुधारों की उन्होंने घोषणा की है इनमें से कुछ पर विचार है। कुछ फैसले हैं और कुछ नीति और विधायी पहल हैं। हमें राज्य सरकारों और पंचायतों से सहयोग की आवश्यकता है। अगर सभी हिस्सेदार सहयोग करते हैं तो इसे किया जाना चाहिए।विदेशी शिक्षा विधेयक का मसौदा तैयारसिब्बल ने कहा कि फारेन एजुकेशन प्रोवाइडर्स बिल का मसौदा तैयार कर लिया गया है। यह पूछे जाने पर कि क्या विदेशी संस्थान आरक्षण लागू करेंगे तो उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे पर फैसला नहीं किया है। उन्होंने कहा -यह इस पर निर्भर करता है कि हम क्या फैसला करते हैं और कब आगे बढ़ते हैं।
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