केन्द्रीय बजट में राजधानी बेंगलूरू के ढांचागत विकास के लिए 8 हजार करोड़ रूपए की विशेष सहायता देने सहित विभिन्न बजट पूर्व मांगों को पूरा करने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाने के कारण कर्नाटक को केन्द्रीय बजट से मायूसी हाथ लगी है। कर्नाटक का मानना है कि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने पश्चिम बंगाल व मुंबई शहर के बाढ़ प्रबंधन के लिए विशेष कोष मंजूर करके बड़ी उदारता दिखाई है, लेकिन विश्व के तेजी से विकसित हो रहे शहरों में शुमार बेंगलूरू शहर की ढांचागत विकास जरूरतों की बजट में अनदेखी की गई है। इसी तरह भारतीय तकनीकी संस्थान (आईआईटी) मंजूर करने की दृष्टि से भी प्रदेश की अनदेखी की गई है जबकि अन्य संप्रग शासित प्रदेशों में आईआईटी की स्थापना की जा रही है।देश के तकनीकी हब कहलाने वाले बेंगलूरू शहर में भारतीय तकनीकी संस्थान की स्थापना के लिए सारी संभावनाएं मौजूद होने के बावजूद केन्द्रीय बजट में इस मांग को पूरा नहीं करने से कर्नाटक को निराशा हाथ लगी है। कर्नाटक ने राज्य सरकार द्वारा किसानों के कर्ज माफ करने के मद में खर्च किए गए 1880 करोड़ रूपए की क्षतिपूर्ति करने की मांग की थी लेकिन इस मांग पर भी गौर नहीं किया गया। राज्य के 84 तालुकों में पिछले साल भीषण सूखा पड़ा था जबकि कई तालुक बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए थे। राज्य सरकार ने राहत कायोंü के लिए केन्द्र से 2,019 करोड़ रूपए की सहायता मंजूर करने की आग्रह किया था लेकिन इस मांग को भी पूरा नहीं किया गया। राज्य सरकार ने वैश्विक आर्थिक मंदी के परिप्रेक्ष्य में केन्द्र से केन्द्रीय करों में राज्यों के हिस्से को बढ़ाने की अपील की लेकिन बजट में इस बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया। कर्नाटक में देश का 70 फीसदी काफी उत्पादन होता है। प्राकृतिक प्रकोप व बाजार में उतार चढ़ाव के कारण राज्य के काफी उत्पादकों की स्थिति बदतर हो गई है। राज्य द्वारा बजट पूर्व ज्ञापन में काफी उत्पादकों के लिए विशेष पैकेज की घोषणा करने की मांग की गई थी लेकिन बजट में कोई राहत पैकेज घोषित नहीं किया गया। इसी तरह तटवर्ती कारवार व मंगलौर में समुद्री क्षरण की समस्या का स्थाई समाधान करने के लिए प्रदेश की तरफ से समुद्रतट पर दीवार बनाने की मांग सालों से की जा रही है लेकिन बजट में इस समस्या को दूर करने का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। राज्य के अत्यंत पिछड़े हैदराबाद कर्नाटक क्षेत्र को विशेष दर्जा देने के लिएसंविधान के अनुच्छेद 371 डी में संशोधन करने की मांग सालों से की जा रही है लेकिन बजट में इस बारे में कोई घोषणा नहीं की गई।कुल मिलाकर कहा जाए तो प्रदेश को केन्द्र सरकार के विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों के लिए अधिक धन का प्रावधान करने का लाभ तो मिलेगा लेकिन प्रदेश की लम्बित मांगों की अनदेखी से कर्नाटक मायूस है।
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