नक्सलियों से केन्द्र अपने तरीके से निपटेगा। उसे जड़ से मिटाने का प्लान भी बन गया है। परन्तु उसके क्रियान्वयन तक न जाने कितनी जानें जा चुकी होंगी। छत्तीसगढ़ में रविवार के नक्सली हमले ने केन्द्रीय गृहमंत्रालय को यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि अब और देर करना ठीक नहीं होगा। सोमवार को इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार पूरी तरह खामोश रही। नार्थ ब्लाक में बैठक कर इस मसले पर गहन मंत्रणा की गई। जिस तरह के संकेत मिले हैं उससे नाक में दम करने वाले नक्सलवाद पर सरकार सख्ती का रूख अपना सकती है।संप्रग सरकार ने अपनी दूसरी पारी शुरू होते ही सबसे पहले आतंक और नक्सलवाद पर अपना रूख साफ किया था। राष्ट्रपति के अभिभाषण में नक्सलवाद को देश का सबसे बड़ा खतरा बताया जाना, उसके बाद केन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बरम का हथियार छोड़े बगैर बातचीत नहीं की घुड़की के बाद छत्तीसगढ़ में जो हुआ वह केन्द्र के लिए चुनौती से कम नहीं है। विगत कुछ माह में केन्द्र सरकार की तरफ से नक्सलवाद को कसने की जितनी कोशिश हुई, वातदातें भी उसी रफ्तार से बढ़ी हैं।चालू साल के छह माह के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इस दरमियान नक्सलियों के हमले से 230 सुरक्षा कर्मियों की जान जा चुकी है जबकि 2008 में नक्सल वारदात में 231 तथा इसके पहले 2007 में मरने वालों की संख्या 236 रही है। ये तब है जब केन्द्र नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने को अपनी पहली प्राथमिकता में लेकर चल रही है। सूत्रों के अनुसार इस वारदात को केन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने भी काफी गंभीरता से लिया है। सोमवार को नार्थ ब्लाक में उन्होंने पूरे मामले की खुद समीक्षा की। मुख्य पेंच राज्य और केन्द्र के बीच अलग-अलग दलों की सरकार को लेकर फंस रही है।राज्य सरकार काफी समय से केन्द्रीय सुरक्षा बल को बढ़ाने की मांग कर रही है जबकि केन्द्र सरकार समूचे देश का हवाला देते हुए कम उपलब्धता की विवशता बताकर उसे टाल रही है। रविवार की घटना के बाद उस मुद्दे पर नए सिरे से विचार शुरू हो गया है। सूत्रों ने बताया कि केन्द्रीय गृहमंत्रालय नक्सलियों की इस बड़ी वारदात से सबक लेते हुए नक्सल प्रभावित राज्यों के बीच आपसी सामंजस्य बनाकर उनसे निपटने की रणनीति को धारदार बनाने में जुटेगी। इसके लिए मुख्यमंत्रियों की संभावित बैठक को जल्द बुलाने के साथ राज्यों को पर्याप्त बल मुहैया कराने की दिशा में भी तेजी से सोचा जा रहा है। छत्तीसगढ़ के मुद्दे पर नार्थ ब्लाक सोमवार को पूरी तरह खामोश रहा। न चिदम्बरम बोले, न माकन। केन्द्रीय गृह सचिव भी दिनभर बैठकों में व्यस्त रहे। सूत्रों की मानें तो मंगलवार को नक्सल पर केन्द्रीय गृहमंत्रालय का नया रूख सामने आ सकता है
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