झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने मांग की है कि राज्य में विधानसभा चुनाव जल्द कराए जाएं, जिससे राज्य में विकास की गति बनाई जा सके। मरांडी का आरोप है कि राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य का विकास थम गया है और जनाकांक्षाओं को दरकिनार कर दिया गया है। मरांडी का कहना था कि 19 जनवरी 2009 को झारखंड की जनता ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने पर राहत की सांस ली थी और राज्य की जनता को विश्वास था कि विधानसभा भंग कर राज्य में लोकसभा चुनावों के साथ ही विधानसभा के चुनाव कराए जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और जनता सोचने के लिए मजबूर हो गई कि विधानसभा भंग नहीं की गई, तो सत्ता के लिए सौदेबाजी हो सकती है। उन्होंने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार का बोलबाला है लेकिन भ्रष्टाचार की शुरुआत तो सत्ता के खेल के साथ 2003 में हो गई थी। वही खेल अब भी चल रहा है। राज्य में नई रेल लाइन डालने की परियोजना के अधर में लटके रहने और उसकी अनुमानित राशि बढ़ जाने का उल्लेख करते हुए मरांडी ने कहा कि 550 किलोमीटर लंबी नई रेललाइन डाले जाने की जो परियोजना 2002 में शुरू की गई थी उस वक्त अनुमानित लागत दो हजार करोड़ रुपये थी जिसे 2007 में पूरा होना था। लेकिन वह परियोजना अब तक पूरी नहीं हुई और उसकी अनुमानित लागत बढ़ कर 3,300 करोड़ रुपये हो गई। कैबिनेट सचिव के राज्य के दौरे के वक्त राज्य सरकार ने बढ़ी हुई राशि देने से इनकार कर दिया। इसमें रेल मंत्री, कैबिनेट सचिव और वित्त सचिव के बीच तालमेल का अभाव दिखाई देता है। रेल मंत्री गरीबों तक रेल पहुंचाने की बात करती हैं तो वह झारखंड में तो पूरी होती नहीं दिखती। केंद्र को संसद में अपने वादे के मुताबिक झारखंड में मॉनसून के बाद विधानसभा चुनाव कराने चाहिए। सरकार ने मॉनसून के बाद राज्य में चुनाव कराने का वादा किया है लेकिन बीजेपी राज्य में तुरंत चुनाव कराने की मांग कर रही है। झारखंड में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के लिए सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में प्रस्ताव रखा था जिस पर बहस के दौरान राज्य के अन्य पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने भी कहा था कि झारखंड को राष्ट्रपति शासन से कोई लाभ नहीं हुआ है। राज्य में अपराध बढ़े हैं और राजभवन राजनीति का केंद्र बन गया है। उन्होंने आशंका प्रकट की कि केंद्र में कांग्रेस नीत यूपीए राष्ट्रपति शासन के विस्तार का लाभ अपने राजनीतिक हितों के लिए कर सकती है। कांग्रेस ने 2005 में बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए राजभवन का उपयोग किया था। वहीं इस मामले में कांग्रेस अपनी नेता का बचाव करते हुए उनके साथ किए जा रहे बर्ताव और उनके घर पर की गई आगजनी को घोर निंदा कर रही है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और बहुजन समाजवादी पार्टी ( बीएसपी ) की लड़ाई अब सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। कथित रूप से मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा को गाजियाबाद में गिरफ्तार कर लिया गया है , जबकि लखनऊ में उनके बंगले पर हमला कर देर रात 150-200 लोगों की भीड़ ने आग लगा दी। आरोप लगाया जा रहा है कि आग लगाने वालों में बीएसपी के कार्यकर्ता और नेता शामिल थे। रीता बहुगुणा का बंगला पॉश इलाके में सरोजिनी नायडू मार्ग पर है। उनके मकान के ठीक पीछे बीएसपी के कद्दावर नेता सतीश मिश्रा का बंगला भी है।
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