राजस्थान में आईआईटी की स्थापना के लिए राज्य सरकार की ओर से स्थल चयन में देरी को लेकर केन्द्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय ने कड़ी नाराजगी जताई है। शुक्रवार को विज्ञान भवन में आयोजित राज्यों के शिक्षा सचिवों के सम्मेलन में प्रभारी सचिव ने साफ कहा कि राजस्थान का रिस्पांस तो बिल्कुल शून्य है, जबकि वहां तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अब एक नए आईआईएम की भी स्थापना होनी है।राज्य सरकार का 15 दिन का आश्वासनसम्मेलन में कहा गया कि आईआईटी के लिए जमीन अधिग्रहण का मसला कई अन्य राज्यों में भी लम्बित है, लेकिन राजस्थान में अभी तक स्थल चिन्हित कर केन्द्र को रिपोर्ट भेजने जैसी शुरूआती प्रक्रिया भी प्रारम्भ नहीं हो सकी है। मंत्रालय की ओर से बताया गया कि इस मामले में स्वयं केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बात भी की थी। राज्य सरकार की ओर से अगले 15 दिन में इसे पूरा करने का भरोसा भी दिया गया था।कानपुर में भारी परेशानीअतिरिक्त सचिव अशोक ठाकुर ने बताया कि अस्थाई परिसर के तौर पर आईआईटी कानपुर परिसर में आईआईटी राजस्थान के संचालन को लेकर काफी दिक्कतें पेश आ रही है। लगातार दूसरे साल छात्रों की संख्या दुगूनी होने के कारण आईआईटीजे के छात्रों का आवासीय ठिकाना परिसर से बाहर किया गया है। आईआईटी कानपुर के अपने छात्रों की संख्या पिछले दो साल में 31 प्रतिशत ज्यादा हो गई है। ऎसे में राजस्थान सरकार को जल्द से जल्द अस्थाई व पूर्ण परिसर के लिए स्थल चयन की प्रक्रिया को पूरी करनी होगी। अस्थाई व पूर्ण परिसर एक शहर में होंउच्चतर शिक्षा सचिव आरपी अग्रवाल ने इस सम्बंध में सुझाव दिया कि राज्य सरकार जहां पूर्ण परिसर के लिए जमीन का चयन करे, वहीं अस्थाई परिसर के लिए भी किसी उपयुक्त भवन का अधिग्रहण कर लिया जाए तो ठीक रहेगा। पूर्ण परिसर को विकसित होने में बरसों लगेंगे, ऎसे में उसी शहर में आईआईटी होने से कि बेहतर ढंग से निगरानी हो सकेगी।अकेले राजस्थान अधर मेंएचआरडी सूत्रों के मुताबिक राजस्थान देश के उन तीन पहले राज्यों में शामिल है जिसके लिए प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार समिति ने वर्ष 2006 में नई आईआईटी की स्थापना की सिफारिश की थी। इसके अगले साल मंत्रालय ने क्षेत्रीय असंतुलन और ध्यान में रखकर योजना आयोग से पांच और आईआईटी की स्थापना की मंजूरी ले ली। अब जबकि सभी नई आईआईटी के लिए सम्बद्ध राज्य ने स्थल चयन को लगभग अंजाम दे दिया है, और कई में पूर्ण परिसर के निर्माण की प्रकिया भी प्रारम्भ हो चुकी है। अकेले आईआईटी राजस्थान के छात्र बीते दो सालों में आईआईटी कानपुर परिसर में पढ़ाई पूरी करने को मजबूर हैं।जितना जल्दी उतना बेहतरकानपुर से अपनी आईआईटी को जल्द से जल्द स्थानान्तरित करना नितांत आवश्यक है। स्थाई जगह पर जाने के बाद पोस्ट ग्रेजुएट और दूसरे कोर्स प्रारम्भ किए जा सकेंगे। इसके अलावा छात्रों में निश्चिन्तता का भाव आएगा।-प्रो. पे्रमकुमार कालरा, निदेशक आईआईटी राजस्थान
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