Sunday, July 19, 2009

भारी पड़ेगी किसानों की अनदेखी: राजनाथ

सूखे से बदहाल खेती और मुरझाए किसानों के चेहरे से चिंतित भाजपा ने केंद्र सरकार पर किसानों की अनदेखी का तीखा आरोप लगाया है।
कृषि मंत्रालय की अनुदान मांगों पर लोकसभा में बहस की शुरुआत करते हुए शुक्रवार को भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने सूखे के हालात को देखते हुए खेती के लिए प्रोत्साहन पैकेज देने और कृषि क्षेत्र पर समग्र चर्चा के लिए अलग से सत्र बुलाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि जिन किसानों की फसल सूखे के कारण नष्ट हो गई है, उनके कर्ज पर इस साल का ब्याज माफ किया जाना चाहिए।
राजनाथ ने कहा कि किसानों के लिए बातें तो बहुत हुई, लेकिन उन्हें उत्पादन बढ़ाने की नई प्रौद्योगिकी से अवगत कराने, उपज का उचित मूल्य देने और सस्ता कर्ज मुहैया कराने की कोई गंभीर कोशिश नहीं की गई।
राजनाथ ने कहा कि देश में सैकड़ों निजी व सरकारी चैनल हैं, लेकिन कृषि के लिए एक भी नहीं। राजग सरकार ने एक चैनल शुरू किया था, लेकिन उसे भी संप्रग सरकार ने आते ही बंद कर दिया। उन्होंने इस चैनल को फिर से शुरू करने की मांग की।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि देश को एक-दो हरित क्रांतियों की नहीं, बल्कि सदाबहार हरित क्रांति की जरूरत है। उन्होंने इसके लिए उत्पादकता को सीधे बाजार व उपभोक्ता से जोड़ने की जरूरत बताई। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने कृषि के लिए बजट में नाम मात्र की वृद्धि की है। उन्होंने सवाल उठाया कि महज 550 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी से क्या होने वाला है?
पहली बार लोकसभा पहुंचे राजनाथ ने कहा कि फसल बीमा योजना लागू तो है, लेकिन उसका लाभ बहुत कम लोगों को मिल रहा है। उसे व्यापक बनाने की जरूरत है। भाजपा नेता ने सरकार से पूछा कि क्या फसल बीमा योजना को मोटर वाहन बीमा योजना की तरह अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता है?
उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति में तत्काल बदलाव की मांग करते हुए कहा कि लागत से पचास फीसदी ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाना चाहिए। इसकी घोषणा भी फसल आने के बाद नहीं, बल्कि फसल लगाते समय की जानी चाहिए। किसानों को कर्ज चार फीसदी की दर पर दिया जाना चाहिए और कर्ज वसूल करते समय सूखा व बाढ़ की स्थितियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
राजनाथ सिंह ने जमीन की उर्वरा शक्ति कम होने पर भी चिंता जताई और कहा कि इस क्षेत्र में नए अनुसंधान पर जोर देने के साथ उनको किसान तक पहुंचाने की व्यवस्था भी सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने सरकार को चेताया कि अगर उसने समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाए तो कृषि की यह उपेक्षा बहुत भारी पडे़गी।

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