मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता जोशी के अंतरिम जमानत पर रिहा होने पर 'विजय दिवस' मना रहे कांग्रेसियों को वास्तव में 'माफी दिवस' मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रीमती जोशी ने अपनी अमर्यादित टिप्पणी से अपने परिवार की प्रतिष्ठा तथा देशवासियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई। बसपा सरकार प्रभावी पैरवी करके उन्हें उनके कृत्य की सजा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
मुख्यमंत्री ने सोमवार को जारी एक वक्तव्य में कहा कि बसपा सरकार लोकतांत्रिक मान्यताओं का सम्मान करती है, तथा कानून व्यवस्था सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने दोहराया कि श्रीमती जोशी के आवास पर आगजनी की घटना में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसी के साथ उन्होंने कहा कि श्रीमती जोशी के खिलाफ भी विधिक कार्यवाही जारी रहेगी।
उधर, बसपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से जारी एक अन्य वक्तव्य में कहा गया कि रीता जोशी को वास्तव में 'शर्म दिवस' मनाना चाहिए। उन्होंने श्रीमती जोशी पर एससी-एसटी एक्ट तामील किए जाने को पूरी तरह विधिसम्मत ठहराते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष को अपने वचन के मुताबिक राजनीति से सन्यास ले लेना चाहिए। वक्तव्य में उप्र अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति [अत्याचार निवारण] अधिनियम, 1989 के दूसरे अध्याय की धारा तीन की उपधारा एक के उपबंध संख्या दस का उल्लेख करते हुए दावा किया गया कि मुख्यमंत्री मायावती के बारे में श्रीमती जोशी की टिप्पणी एससी-एसटी एक्ट के अंतर्गत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आती है।
मौर्य ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सिर्फ अंतरिम जमानत पर रिहा हुई हैं। बसपा सरकार इस मामले की प्रभावी पैरवी करके उन्हें सजा अवश्य दिलाएगी। श्रीमती जोशी की टिप्पणी से लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। उनका कृत्य माफ करने लायक नहीं है।
मुख्यमंत्री ने सोमवार को जारी एक वक्तव्य में कहा कि बसपा सरकार लोकतांत्रिक मान्यताओं का सम्मान करती है, तथा कानून व्यवस्था सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने दोहराया कि श्रीमती जोशी के आवास पर आगजनी की घटना में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसी के साथ उन्होंने कहा कि श्रीमती जोशी के खिलाफ भी विधिक कार्यवाही जारी रहेगी।
उधर, बसपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से जारी एक अन्य वक्तव्य में कहा गया कि रीता जोशी को वास्तव में 'शर्म दिवस' मनाना चाहिए। उन्होंने श्रीमती जोशी पर एससी-एसटी एक्ट तामील किए जाने को पूरी तरह विधिसम्मत ठहराते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष को अपने वचन के मुताबिक राजनीति से सन्यास ले लेना चाहिए। वक्तव्य में उप्र अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति [अत्याचार निवारण] अधिनियम, 1989 के दूसरे अध्याय की धारा तीन की उपधारा एक के उपबंध संख्या दस का उल्लेख करते हुए दावा किया गया कि मुख्यमंत्री मायावती के बारे में श्रीमती जोशी की टिप्पणी एससी-एसटी एक्ट के अंतर्गत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आती है।
मौर्य ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सिर्फ अंतरिम जमानत पर रिहा हुई हैं। बसपा सरकार इस मामले की प्रभावी पैरवी करके उन्हें सजा अवश्य दिलाएगी। श्रीमती जोशी की टिप्पणी से लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। उनका कृत्य माफ करने लायक नहीं है।
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