उदयपुर में ब्रिटिश युवती से ज्यादती के मामले में फरार अभियुक्त पर्बतसिंह की गिरफ्तारी नहीं होने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से राज्य सरकार के बारे में की गई टिप्पणी पर मंगलवार को विधानसभा में विपक्ष उबल पड़ा। पुलिस की नाकामी के बारे में गृहमंत्री शांति धारीवाल के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी और जमकर हंगामा किया। इस वजह से सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी और बाद में हंगामे के बीच ही उद्योग तथा पर्यटन विभाग की अनुदान मांगें पारित की गईं। भाजपा के राजेन्द्र राठौड़ और डॉ. दिगंबरसिंह ने पहले तो स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से यह मामला उठाने का प्रयास किया। अध्यक्ष दीपेन्द्रसिंह शेखावत ने जब इसकी अनुमति नहीं दी तो राजेन्द्र राठौड़ ने पाइंट ऑफ इनफॉर्मेशन पर खड़े होकर बोलना शुरू कर दिया।
पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि राज्य सरकार के बारे में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी गंभीर है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी 6 माह में अभियुक्तों की गिरफ्तारी नहीं हो पाना गंभीर है। पुलिस की इस नाकामी के लिए गृहमंत्री को त्यागपत्र देना चाहिए। इस पर भाजपा के सदस्यों ने खड़े होकर बोलना शुरू कर दिया और वैल में आकर नारेबाजी की।
इसके बाद जब सदन की बैठक शुरू हुई तो गृहमंत्री धारीवाल ने अपने जवाब में पुलिस की नाकामी की बात स्वीकारी। उन्होंने जैसे ही पूर्व डीआईजी मधुकर टंडन और उड़ीसा के डीआईजी के पुत्र बिट्टी मोहंती की गिरफ्तारी नहीं होने और गुर्जर आंदोलन के समय सुप्रीम कोर्ट द्वारा तत्कालीन सरकार पर राष्ट्रीय शर्म जैसी टिप्पणी करने और भवानीमंडी नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन रामलाल गुर्जर की गिरफ्तारी नहीं होने का जिक्र किया तो विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष चाहता था कि गृहमंत्री केवल उदयपुर के मामले तक ही अपना जवाब सीमित रखें पुरानी घटनाओं का जिक्र यहां नहीं करें। हंगामे के कारण धारीवाल अपना वक्तव्य पूरा नहीं पढ़ पाए। बाद में धारीवाल ने बताया कि उन्होंने सदन में यह भी कहा था कि हत्या के एक अभियुक्त झालरापाटन निवासी अमित शर्मा को तो पूर्व मुख्यमंत्री ने छुड़वाया था, वह आज तक फरार है। मैं दोषी हूं तो मुझे यहीं सजा दें : गृहमंत्री धारीवाल की इस टिप्पणी से कि हाईकोर्ट ने जब अभियुक्त पर्वतसिंह को जमानत दी तब किसकी सरकार थी और उसके लिए कौन जिम्मेदार था, पूर्व गृहमंत्री कटारिया नाराज हो गए। उन्होंने कहाकि हाईकोर्ट से जमानत होना क्या मेरे अधिकार क्षेत्र में था? यदि इसके लिए भी मैं दोषी हूं तो मुझे यहीं सजा दे दी जाए। कटारिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से राज्य पर जो कलंक लगा है, उसे धोने के लिए सरकार ने क्या प्रयास किया, यह बताया जाए।
पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि राज्य सरकार के बारे में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी गंभीर है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी 6 माह में अभियुक्तों की गिरफ्तारी नहीं हो पाना गंभीर है। पुलिस की इस नाकामी के लिए गृहमंत्री को त्यागपत्र देना चाहिए। इस पर भाजपा के सदस्यों ने खड़े होकर बोलना शुरू कर दिया और वैल में आकर नारेबाजी की।
इसके बाद जब सदन की बैठक शुरू हुई तो गृहमंत्री धारीवाल ने अपने जवाब में पुलिस की नाकामी की बात स्वीकारी। उन्होंने जैसे ही पूर्व डीआईजी मधुकर टंडन और उड़ीसा के डीआईजी के पुत्र बिट्टी मोहंती की गिरफ्तारी नहीं होने और गुर्जर आंदोलन के समय सुप्रीम कोर्ट द्वारा तत्कालीन सरकार पर राष्ट्रीय शर्म जैसी टिप्पणी करने और भवानीमंडी नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन रामलाल गुर्जर की गिरफ्तारी नहीं होने का जिक्र किया तो विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष चाहता था कि गृहमंत्री केवल उदयपुर के मामले तक ही अपना जवाब सीमित रखें पुरानी घटनाओं का जिक्र यहां नहीं करें। हंगामे के कारण धारीवाल अपना वक्तव्य पूरा नहीं पढ़ पाए। बाद में धारीवाल ने बताया कि उन्होंने सदन में यह भी कहा था कि हत्या के एक अभियुक्त झालरापाटन निवासी अमित शर्मा को तो पूर्व मुख्यमंत्री ने छुड़वाया था, वह आज तक फरार है। मैं दोषी हूं तो मुझे यहीं सजा दें : गृहमंत्री धारीवाल की इस टिप्पणी से कि हाईकोर्ट ने जब अभियुक्त पर्वतसिंह को जमानत दी तब किसकी सरकार थी और उसके लिए कौन जिम्मेदार था, पूर्व गृहमंत्री कटारिया नाराज हो गए। उन्होंने कहाकि हाईकोर्ट से जमानत होना क्या मेरे अधिकार क्षेत्र में था? यदि इसके लिए भी मैं दोषी हूं तो मुझे यहीं सजा दे दी जाए। कटारिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से राज्य पर जो कलंक लगा है, उसे धोने के लिए सरकार ने क्या प्रयास किया, यह बताया जाए।
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