मायावती का दलित नेताओं की मूर्ति लगाने का मोह अब उन्हें ही परेशानी पैदा कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट के बाद अब इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने भी राज्य सरकार को 9 जुलाई तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट बेंच के जस्टिस राजीव शर्मा एवं जस्टिस सतीश चंद्र ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 जुलाई की तारीख तय की है। यूपी के ऐड्वकेट जनरल रह चुके और राज्यसभा के सदस्य वीरेंद्र भाटिया ने जनहित याचिका दाखिल करने वाले रिटायर्ड कर्नल सत्यवीर सिंह यादव की ओर से बहस करते हुए कहा कि माया सरकार ने साल 2005 के हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है। इसमें कोर्ट ने लखनऊ के चौराहों में मूर्तियों की स्थापना को लेकर आदेश दिया था। भाटिया ने कहा कि हाई कोर्ट ने तीन फुट से ऊपर की मूर्तियों को नहीं लगाने का साफ आदेश दिया था पर इसका पालन नहीं हुआ। बोलगा तो : वाह जी वाह ! शायद , मायावती की बातों का लब्बोलुआब यही है कि , चलो मिलजुलकर जनता को लूटें ! जो तुमने किया , अब मैं भी वही कर रही हूं। न तुम मुझपर सवाल उठाओ न मैं तुम्हारे फैसलों पर अंगुली उठाऊंगी। ऐसा लगता है कि भारत की जनता सिर्फ थप्पड़ खाने के लिए है। कभी सांसद का थप्पड़ , कभी जनता के पैसों से बनी संगमरमर की मूर्तियों का थप्पड़। तो कभी महंगे पेट्रॉल - डीजल का झन्नाटेदार थप्पड़। खाए जाओ , खाए जाओ , सरकार के गुण गाए जाओ ...
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