Sunday, July 19, 2009

लालू का कांग्रेस से मोहभंग नहीं हुआ

राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष एवं पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव से कांग्रेस ने भले ही किनारा कर लिया हो लेकिन अभी भी उसके साथ मिलकर चुनाव लडऩे के पक्ष में हैं।यादव ने एक अंग्रेजी दैनिक को दी गयी भेंटवार्ता में कहा है कि वह अभी भी कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लडऩे के पक्ष में हैं, लेकिन यह उस पर निर्भर करता है कि कांग्रेस हमारे साथ मिलकर चुनाव लड़े या नहीं। उन्होंने कहा कि झारखंड में राजद के बगैर कोई सरकार नहीं बन सकती और कांग्रेस अकेले वहां सरकार नहीं बना सकती। हम चाहते हैं कि धर्मनिरपेक्ष वोटों का बंटवारा न हो और कांग्रेस का वामदलों के साथ मिलकर एक धर्मनिरपेक्ष मोर्चा बने।उन्होंने माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को इस बात के लिए आड़े हाथों लिया कि परमाणु करार पर उसने कांग्रेस से समर्थन वापस लिया और यह अपने अंहकार के कारण चुनाव में हारी। राजद नेता ने यह भी कहा कि वह एक किताब लिखेंगे और कई राजनीतिक मुद्दों पर अपनी बात खुलकर कहेंगे। वह अपनी किताब में बताएंगे कि भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार न करने के लिये उन पर कुछ लोगों ने किस तरह दबाव डाला था और किस तरह मंडल आयोग को लागू किया गया था।रेल मंत्री कार्यकाल में उनके मंत्रालय के मुनाफे के दावे को गलत बताये जाने के बारे में उन्होंने कहा, अगर मेरे कार्यकाल के रेल बजट के मुनाफे का दावा गलत है तो रेल मंत्री ममता बनर्जी ने जो बजट पेश किया है वह भी गलत है और भारत सरकार पिछले पांच साल से जो बजट पेश कर रही है वह भी गलत है। यादव ने कहा कि प्रो. रघुराम ने एक किताब लिखी है जिसमें कहा गया है कि अगर रेलवे एक निजी कंपनी होती तो नीतिश कुमार को खराब प्रदर्शन के लिये रेल मंत्री के पद से बर्खास्त कर दिया गया होता।पूर्व रेल मंत्री ने कहा, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एक अच्छी महिला हैं और उन्होंने कभी मुझे अलग नहीं किया। मैं उनसे मिला लेकिन मीडिया ने दावा किया कि श्रीमती गांधी ने सरकार बनने के समय मुझसे मिलने से मना कर दिया, यह गलत है।

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