लोकसभा चुनाव में हार की छाया से उबरने के बाद बुलाई गई जनता दल (एस)राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक विवाद से घिर गई। विवाद केरल को लेकर हुआ। केरल में पार्टी के वाम जनतांत्रिक गठबंधन (एलडीएफ) के साथ जाने का फैसला पार्टी के वरिष्ठ नेता वीरेन्द्र कुमार को इतना नागवार गुजरा कि वह कार्यकारिणी की बैठक छोड़कर चले गए। पार्टी में बगावती तेवर देख राष्ट्रीय अध्यक्ष एच.डी. देवगौड़ा ने अनुशासन का डंडा घुमाया, लेकिन वीरेन्द्र कुमार के खिलाफ कार्रवाई करने की वह हिम्मत नहीं जुटा पाए। केरल को लेकर देवगौड़ा और वीरेन्द्र कुमार के बीच काफी लम्बे समय से विवाद चल रहा है। वीरेन्द्र कुमार वहां वाम जनतांत्रिक गठबंधन का साथ छोड़कर कांग्रेस के साथ तालमेल करने की कई बार पैरवी कर चुके हैं, लेकिन देवगौड़ा उनके इस प्रस्ताव पर सहमत नहीं है। शनिवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इस मुद्दे को फिर विचार-विमर्श के लिए रखा गया। रायशुमारी में देवगौड़ा का पलड़ा भारी रहा और वहां एलडीएफ के साथ जाने का फैसला किया गया। यह निर्णय होते ही वीरेन्द्र कुमार विरोध पर उतर आए और कार्यकारिणी की बैठक छोड़कर चले गए। कार्यकारिणी में देवगौड़ा की मंशा के अनुरूप ही प्रस्ताव पारित हुए। केरल में एलडीएफ के साथ बने रहने का और केन्द्र में कांग्रेस के साथ जुड़े रहने का प्रस्ताव उनके सत्ता के साथ रहने की नीति को दर्शाता है। इसके पीछे उन्होंने कुछ अलग ही तर्क दिया। उनका कहना था कि केरल में उनकी पार्टी 1999 से एलडीएफ के साथ हैं इसलिए पुराने गठजोड़ को बिना कारण वह नहीं छोड़ सकते जबकि केन्द्र में कांग्रेस के साथ जाने के पीछे तर्क धर्मनिरपेक्षता एवं सरकार के स्थायित्व का दिया गया। कार्यकारिणी में कर्नाटक के राजनीतिक हालात पर भी चर्चा हुई और वहां पांच विधानसभा सीटों के उपचुनाव में अकेले लड़ने का निर्णय किया गया।पार्टी महासचिव दानिस अली ने बताया कि संगठन को मजबूती देने के लिए देशव्यापी सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। 30 सितम्बर तक इसे पूरा कर कराए जाने वाले चुनाव के लिए एमडब्लू सिद्दीकी को निर्वाचन अधिकारी बनाया गया है। कार्यकारिणी में आए राजनीतिक प्रस्ताव में जहां लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट को जल्द संसद में रखने की मांग की गई वहीं, आर्थिक प्रस्ताव में कृषि पर श्वेत पत्र लाए जाने की मांग रखने का प्रस्ताव पारित किया गया।
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