Saturday, July 4, 2009

बलात्कार की परिभाषा का दायरा बढ़ाने की जरूरत

राष्ट्रीय महिला आयोग ने कहा है कि बलात्कार की परिभाषा को तत्काल पुन:भाषित किए जाने की जरूरत है जिससे कि छेड़छाड़ को भी इसमें शामिल किया जा सके। महिला आयोग की अध्यक्ष गिरिजा व्यास ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा कि बलात्कार से जुड़े कानूनों में व्यापक सुधार के अलावा न्यायिक प्रक्रिया में यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस तरह के मामलों का निपटारा एक महीने में कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि पीडिता के बयान बार बार लेने की यातनापूर्ण प्रक्रिया भी बंद होनी चाहिए। पीएम को लिखा पत्रगिरिजा ने बलात्कार की शिकार महिलाओं के पुनर्वास के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक पत्र लिखा है और वे इस मुद्दे को संसद में भी उठाएंगी। कानूनों में बदालव की जरूरत व्यास ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ यौन शोषण से निपटने के कानूनों में बदलाव की जरूरत है। आयोग ने इस बारे में केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजे हैं। मामलों का अम्बारउन्होंने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि देश भर की अदालतों में बलात्कार के करीब 2.45 करोड़ मामले लम्बित हैं। इस वर्ष आयोग के समक्ष जनवरी में 57, फरवरी में 42, मार्च में 49, अप्रेल में 43, मई में 34 और जून में 61 मामले निपटारे के लिए आए। इस तरह के मामलों को पीडित का एक बार बयान लेकर 21 दिन में निपटा दिया जाना चाहिए। कड़ी सजा मिलेयह पूछे जाने पर कि बलात्कार के दोषी को फांसी की सजा दी जानी चाहिए, उन्होंने कहा कि सजा का फैसला न्यायपालिका को करना है।हालांकि व्यास ने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर वह इस तरह के अपराध के लिए कड़ी सजा की पक्षधर हैं।


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