मदनवाड़ा की नक्सली घटना पर मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह से इस्तीफे की मांग कर रहे कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा में दूसरे दिन भी जमकर हंगामा किया। नारेबाजी, शोर शराबे के बीच सदन की कार्यवाही चली। इस दौरान तीन दफा कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। मंगलवार को सदन की कार्यवाही प्रारंभ होते ही पूर्व मंत्री नंदकुमार पटेल ने मदनवाड़ा की घटना का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की। उनके साथ अन्य कांग्रेस विधायकों ने नारे लगाने शुरू कर दिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगने वाले पर्चे लहराए।
भाजपा विधायक भी खड़े होकर विरोध करने लगे। उन्होंने कांग्रेसियों पर आरोप लगाया कि वे शहीदों के नाम पर आपत्ति कर रहे हैं। नगरीय प्रशासन मंत्री राजेश मूणत ने नारे शुरू कर दिए। दोनों पक्षों से हो रही नारेबाजी के बीच विधानसभा अध्यक्ष धरम कौशिक ने उनको शांत कराने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री आज सदन में मौजूद नहीं थे, इस कारण कांग्रेस विधायकों ने उन पर सदन से पलायन करने का आरोप लगाया। हंगामे के बीच ही विधानसभा अध्यक्ष ने प्रश्नकाल शुरू कर दिया और बसपा विधायक दूजराम बौद्ध को अपना सवाल करने का निर्देश दिया। स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल ने अपना जवाब भी दिया लेकिन शोरगुल के चलते कुछ भी सुनाई नहीं दिया। प्रश्नकाल की कार्यवाही में भाग लेने के लिए अध्यक्ष ने कांग्रेस विधायकों के नाम भी लिए लेकिन एक भी विधायक ने इसमें भाग नहीं लिया। संसदीय कार्यमंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे सदन में चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव देते हैं और चर्चा में भाग नहीं लेते। सदन को नियम प्रक्रिया के तहत ही संचालित किया जा सकता है। हंगामे की वजह से अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी।
दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस विधायकों ने फिर नारे लगाने शुरू कर दिए। अध्यक्ष ने प्रश्नकाल की कार्यवाही जारी रखी। इसमें केवल भाजपा और बसपा विधायकों ने भाग लिया। कांग्रेस के विधायक केवल नारे लगाते खड़े रहे। भाजपा विधायकों ने खड़े होकर शोर मचाया। नारेबाजी के बीच 30 मिनट के लिए फिर कार्यवाही रद्द कर दी गई। प्रश्नकाल के बाद अध्यक्ष ने कार्यसूची के तमाम विषयों पर कार्यवाही शुरू कर दी। इसी दौरान संसदीय कार्यमंत्री श्री अग्रवाल ने अनुपूरक बजट भी प्रस्तुत कर दिया।
अंत में मदनवाड़ा की घटना पर गृहमंत्री ननकीराम कंवर का वक्तव्य भी दिलवा दिया। इससे नाराज नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि इतने गंभीर मामले पर कल मुख्यमंत्री ने कुछ नहीं बोला और आज जब मुख्यमंत्री नहीं हैं तो गृहमंत्री से वक्तव्य दिलाया जा रहा है। सरकार को घटना के 11 दिन बाद होश आ रहा है। इसके साथ ही कांग्रेस विधायकों ने नारे तेज कर दिए। उसके बाद अध्यक्ष ने गुरुवार तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। 22 जुलाई को हरेली पर्व की वजह से सदन में अवकाश घोषित कर दिया गया।
भाजपा विधायक भी खड़े होकर विरोध करने लगे। उन्होंने कांग्रेसियों पर आरोप लगाया कि वे शहीदों के नाम पर आपत्ति कर रहे हैं। नगरीय प्रशासन मंत्री राजेश मूणत ने नारे शुरू कर दिए। दोनों पक्षों से हो रही नारेबाजी के बीच विधानसभा अध्यक्ष धरम कौशिक ने उनको शांत कराने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री आज सदन में मौजूद नहीं थे, इस कारण कांग्रेस विधायकों ने उन पर सदन से पलायन करने का आरोप लगाया। हंगामे के बीच ही विधानसभा अध्यक्ष ने प्रश्नकाल शुरू कर दिया और बसपा विधायक दूजराम बौद्ध को अपना सवाल करने का निर्देश दिया। स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल ने अपना जवाब भी दिया लेकिन शोरगुल के चलते कुछ भी सुनाई नहीं दिया। प्रश्नकाल की कार्यवाही में भाग लेने के लिए अध्यक्ष ने कांग्रेस विधायकों के नाम भी लिए लेकिन एक भी विधायक ने इसमें भाग नहीं लिया। संसदीय कार्यमंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे सदन में चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव देते हैं और चर्चा में भाग नहीं लेते। सदन को नियम प्रक्रिया के तहत ही संचालित किया जा सकता है। हंगामे की वजह से अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी।
दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस विधायकों ने फिर नारे लगाने शुरू कर दिए। अध्यक्ष ने प्रश्नकाल की कार्यवाही जारी रखी। इसमें केवल भाजपा और बसपा विधायकों ने भाग लिया। कांग्रेस के विधायक केवल नारे लगाते खड़े रहे। भाजपा विधायकों ने खड़े होकर शोर मचाया। नारेबाजी के बीच 30 मिनट के लिए फिर कार्यवाही रद्द कर दी गई। प्रश्नकाल के बाद अध्यक्ष ने कार्यसूची के तमाम विषयों पर कार्यवाही शुरू कर दी। इसी दौरान संसदीय कार्यमंत्री श्री अग्रवाल ने अनुपूरक बजट भी प्रस्तुत कर दिया।
अंत में मदनवाड़ा की घटना पर गृहमंत्री ननकीराम कंवर का वक्तव्य भी दिलवा दिया। इससे नाराज नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि इतने गंभीर मामले पर कल मुख्यमंत्री ने कुछ नहीं बोला और आज जब मुख्यमंत्री नहीं हैं तो गृहमंत्री से वक्तव्य दिलाया जा रहा है। सरकार को घटना के 11 दिन बाद होश आ रहा है। इसके साथ ही कांग्रेस विधायकों ने नारे तेज कर दिए। उसके बाद अध्यक्ष ने गुरुवार तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। 22 जुलाई को हरेली पर्व की वजह से सदन में अवकाश घोषित कर दिया गया।
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