राज्य के पंचायत राज कार्मिकों की मृत्यु के बाद उनके आश्रितों को नियुक्ति देने का मामला अब मुख्यमंत्री के पास पहुंच गया ै। मंत्रिमण्डल स्तर की बैठक में इन परिवारों का भविष्य तय होगा।राज्य में फिलहाल आठ सौ कर्मचारियों के परिवार रोजगार का इंतजार कर रहे हैं।इन कार्मिकों को सरकारी कर्मचारी नहीं मानने के कारण आश्रितों को नियुक्ति का मामला दस वर्ष से अटका हुआ है। पंचायत राज में पद रिक्त होने पर ही अनुकम्पा नियुक्ति हो सकती है, लेकिन दस वर्षोü से रिक्त पदों का अभाव चल रहा है। अब एक साथ आठ सौ कर्मचारी लगाना पंचायत राज विभाग के बूते से बाहर है। पिछले दिनों जयपुर में शिक्षा मंत्री, पंचायत राज मंत्री और दोनों विभागों के सचिवों के बीच हुई बैठक में इस मामले को मुख्यमंत्री सचिवालय भेजने का निर्णय हुआ।दोनों विभागों के सचिव ही मुख्यमंत्री को हालात से अवगत कराते हुए मंत्रिमण्डल की बैठक में इस बारे में निर्णय की आवश्यकता बताएंगे। बैठक में जिन प्रस्तावों पर चर्चा हुई उनमें अधिकांश का फैसला मंत्रिमण्डल स्तर की बैठक में ही हो सकता है। एक प्रस्ताव पंचायत राज विभाग कार्मिकों को सरकारी कर्मचारी मानना है। ऎसा होने पर सभी विभागों में रिक्त पदों पर नियुक्ति हो सकती है।दूसरा प्रस्ताव ग्राम सेवकों व अन्य पदों पर लगाना है। इस आशय का निर्णय भी मंत्रिमण्डल ही कर सकता है। माना जा रहा है कि विधानसभा सत्र के दौरान ही दोनों विभागों के सचिव मुख्यमंत्री को इस प्रकरण की जानकारी देंगे।
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