पहले दौर की 16 सीटों पर हिन्दुत्व का मसला हावी था तो इस बार सिर्फ एक श्रावस्ती सीट पर यह मुद्दा असर दिखा सकता है। हिन्दुत्व के प्रभाव वाली दूसरी सीट फैजाबाद में मुकाबला चतुष्कोणीय दिखाई दे रहा है। इस सीट पर लगभग सभी प्रत्याशी दमदार हैं। बसपा से टिकट न मिलने के कारण मित्रसेन यादव फिर से सपा के टिकट पर मैदान में हैं। बसपा ने अपना दांव अयोध्या के पूर्व नरेश विमलेन्द्र मोहन मिश्रा पर लगाया है। कांगे्रस के निर्मल खत्री और भाजपा के लल्लू सिंह भी पीछे नहीं हैं। कुर्मी बहुल अम्बेडकर नगर सीट पर भाजपा के विनय कटियार ताल ठोक रहे हैं। लेकिन सपा के शंखलाल मांझी को कांग्रेस ने समर्थन देकर मुकाबले को दमदार बना दिया है। बसपा के राकेश पाण्डे को भी सोशल इंजीनियरिंग से उम्मीद है। दूसरे चरण की खास सीट अमेठी से राहुल गांधी प्रत्याशी हैं। सपा ने उनके समर्थन में अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है। भाजपा से प्रदीप सिंह और बसपा से आशीष्ा शुक्ला मैदान में हैं। सुल्तानपुर सीट पर भी कांग्रेस के डॉ. संजय सिंह त्रिकोणीय मुकाबले में हैं। प्रतापगढ सीट से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैय्या के परिवार के अक्षय प्रताप सिंह मजबूत दावेदार है। इलाहाबाद में सपा के रेवतीरमण सिंह और बसपा के अशोक वाजपेयी के बीच मुकाबला है। इनके अलावा कैसरगंज, गोण्डा, डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीरनगर, जौनपुर, भदोही, बांदा, कौशाम्बी (सुरक्षित) और फूलपुर सीटों पर भी अपवाद छोडकर मुख्य मुकाबला सपा और बसपा के बीच ही है।
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