जूता-चप्पल कांड ने भाजपा-कांग्रेस को एक साथ आने के लिए विवश कर दिया है। केन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बरम की तरफ जूता फेंकने के बाद शुरू हुआ सिलसिला थमता नहीं देख दोनों पार्टियां इस प्रवृति के बढने से आशंकित हो उठी हैं, इसलिए वह इस तरह की घटना को फोकस में नहीं आने देने की पैरोकारी में जुट गई हैं। गुरूवार को लालकृष्ण आडवाणी पर चप्पल फेंके जाने की घटना पर भाजपा-कांग्रेस की तरफ से आई प्रतिक्रिया में कोई खास अंतर नहीं था। दोनों पार्टियों ने इस प्रवृति के बढने का ठीकरा मीडिया के सिर फोडा। नेताओं का कहना था कि इस तरह की घटना को जिस तरह से दिखाया जाता है उससे इसमें बढोतरी हो रही है। दरअसल पखवाडेभर के भीतर देश में हुई तीसरी घटना ने राजनेताओं के माथे पर बल पैदा कर दिया है। उन्हें लगने लगा है कि यदि समय रहते कोई ठोस उपाय नहीं हुआ तो आने वाले समय में स्थिति और खराब हो सकती है। सो, पार्टी नेता सबसे पहले मीडिया को मैनेज कर इसके दायरे को सीमित करना चाहते हैं। गुरूवार को दोनों दलों की तरफ से जिस तरह की बात कही गई उससे तो यही लगता है। इस तरह के मामले को मीडिया जितनी तरजीह देगा लोगों में ऎसी प्रवृति और बढेगी। बेहतर हो कि मीडिया ऎसी घटनाओं को महत्व नहीं दे।- अरूण जेटली, महासचिव भाजपायह तरीका ठीक नहीं है। हम इसकी निंदा करते हैं। हमें पता है कि वह भाजपा कार्यकर्ता है, हम कह सकते थे कि वह अपना घर ठीक करें, लेकिन हम ऎसा नहीं कहेंगे।- अभिषेक मनु सिंघवी, प्रवक्ता कांग्रेस
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