उत्तर प्रदेश को लेकर कांग्रेस इस बार कोई मौका नहीं छोडना चाहती। आरोप -प्रत्यारोप तो अपने चरम पर हैं ही, अब संबंधों का भी खुलासा किया जाने लगा है। कांग्रेस को लग रहा है कि इस बार यदि मुस्लिम मतदाता का रूझान उनकी तरफ हुआ तो प्रदेश में पार्टी अपनी स्थिति में बदलाव ला सकती है। इसी के मद्देनजर कांग्रेस ने भाजपा के साथ बहुजन समाज पार्टी के रिश्तों को लेकर बयानबाजी शुरू कर दी है। कांग्रेस का कहना है कि बसपा व भाजपा दोनों आपस में मिले हुए हैं। वरूण की गिरफ्तारी भी उसी का हिस्सा है।कांग्रेस सीधे तो नहीं लेकिन उसका यही इशारा है कि वरूण को बसपा ने जानबूझकर गिरफ्तार कराया, जिससे की प्रदेश में चुनाव दो समुदायों में बंट जाए। दरअसल वरूण गांधी उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय खासे महत्वपूर्ण बन गए हैं। जो हालात दिखाई दे रहे हैं उसमें यह माना जा रहा है कि वरूण यदि रिहा हुए तो भाजपा उन्हें प्रदेश में अपने स्टार प्रचारक के रूप मे मैदान में उतारेगी। कांग्रेस को आशंका है कि यदि ऎसा हुआ तो फिर एक बार फिर हिन्दू- मुस्लिम मतों का धु्रवीकरण होगा जिससे पार्टी को नुकसान उठाना पडेगा। वरूण पर जब रासुका लगा था तभी से यह माना जा रहा है कि मायावती ने मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के लिए यह कदम उठाया है। जिसका नुकसान कांग्रेस व सपा दोनों को हो सकता है। कांग्रेस इस बार मान रही है कि प्रदेश में मुस्लिम मतदाता उनके साथ जुडेगा। यही वजह है कि वरूण पर रासुका लगाने को लेकर कांग्रेस सीधे तो कुछ नहीं कहती है, लेकिन इशारों में पार्टी प्रवक्ता कपिल सिब्बल कहते हैं कि इसके पीछे मेलजोल की राजनीति है। मतलब बसपा व भाजपा सोची समझी रणनीति के तहत ही प्रदेश में माहौल को बिगाडने में लगे हैं। दोनों दल मिलकर प्रदेश में सरकार बना चुके हैं। इस बार भी उनकी यही कोशिश है कि जैसे भी हो फिर से सत्ता में लौटा जाए।
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