Saturday, April 18, 2009

नाराज मंत्री प्रचार में तटस्थ

बेंगलूरू प्रदेश में लोकसभा चुनाव में भाजपा को अधिक से अधिक सीटें जिताने के लिए राज्य भर का तूफानी दौरान कर रहे मुख्यमंत्री बी. एस. येडि्डयूरप्पा को उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों से सक्रिय योगदान नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि चुनाव प्रचार का शोर चरम पर पहुंचने के साथ ही मुख्यमंत्री व उनके सहयोगियों के बीच शीत युद्ध भी निर्णायक मुकाम पर पहुंच गया है।सूत्रों का कहना है कि येडि्डयूरप्पा की कार्यशैली से मन ही मन कुढ रहे कुछ मंत्री चुनाव के दौरान तटस्थ रहकर बदला चुकाने की फिराक में हैं। गुप्तचर विभाग द्वारा मिली इस जानकारी के बाद येडि्डयूरप्पा का पारा गरम हो गया और उन्होंने चुनाव के दौरान पार्टी का साथ नहीं देने वाले मंत्रियों को हटाने की चेतावनी दी है। बुधवार को दावणगेरे में पत्रकारों के साथ बातचीत में उन्होंने कुछ निगम बोर्ड अध्यक्षों व मंत्रियों की छुट्टी करने के स्पष्ट संकेत दिए। मुख्यमंत्री की इस धमकी के बाद भी नाराज मंत्री प्रचार में सक्रिय रूप से जुटने के बजाय नाम मात्र के लिए यहां-वहां नजर आने लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक मंत्रियों की इस बेरूखी से भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की भी नींद उड गई है और उनको पिछले लोकसभा चुनाव में जीती अठारह सीटें बरकरार रखना भी मुश्किल नजर आने लगा है। बताया जाता है कि ऎन चुनाव से पहले मंत्रिमंडल सदस्यों में उठी इस बगावत की चिंगारी को भडकने से पहले ही शांत करने के मकसद से मुख्यमंत्री ने बागी मंत्रियों की सूची बनाकर दिल्ली के वरिष्ठ नेताओं के पास भेज दी है ताकि चुनाव प्रक्रिया समाप्त होते ही इन लोगों बाहर का रास्ता दिखाया जा सके। बताया जाता है कि मंत्रियों के असंतोष की शुरूआत टिकटों के बंटवारे से हुई है। टिकटों के आवंटन से पहले यदि संबंधित क्षेत्रों के मंत्रियों को विश्वास में लिया जाता तो भाजपा को कम से कम 22 सीटों पर जीत हासिल हो सकती थी। नाराज मंत्रियों को शिकायत है कि मुख्यमंत्री अपने निजी हित साधने के लिए किसी से राय लेना मुनासिब नहीं समझा और ऎसे लोगों को टिकट थमा दिए जिनकी लाबिंग उनके करीबी गुट के लोगों ने की।बताया जाता है कि इन असंतुष्टों ने भी वरिष्ट नेताओं को बता दिया है कि येडि्डयूरप्पा की कार्यशैली से राज्य की जनता का भाजपा से मोह भंग होता जा रहा है और चुनावों के बाद नेतृत्व परिवर्तन नहीं किया गया तो प्रदेश में भाजपा अपना जनाधार खो देगी। पता चला है कि मंत्रियों के साथ ही साथ निगम-बोर्डो के कुछ सदस्य व विधायक भी असंतुष्टों को समर्थन दे रहे हैं। बताया जाता मंत्रियों की इस नाराजगी मैसूर जैसी सीटों के चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकती है।


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