Tuesday, April 14, 2009

शिष्टताओं पर हावी होती चुनावी तल्खियां

चुनावी तल्खियां मंगलवार को उस समय राजनीतिक शिष्टताओं पर हावी होती दिखीं जब विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को हाथ जोडकर नमस्कार किया, लेकिन वह उनसे नजर फेरकर अभिवादन का जवाब दिए बिना ही चल दिए।

एक-दूसरे पर तीखे शब्दबाण चला रहे दोनों नेताओं का काफी अर्से बाद मंगलवार को संसद परिसर में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती के मौके पर आमना-सामना हुआ तो उनके व्यवहार की खटास भी खुलकर सामने आ गई।
लोकतंत्र के मंदिर में एक दूसरे के विरोध में खडे रहने वाले ये दोनों नेता आमने-सामने होने पर परस्पर अभिवादन करते रहे हैं, लेकिन आज पहले-सी वह नफासत कहीं नहीं थी।

लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी, आडवाणी और प्रधानमंत्री के बीच में थे। आडवाणी ने प्रधानमंत्री की ओर हाथ जोडकर नमस्ते किया, लेकिन डॉ. सिंह ने अनदेखा कर दिया। आडवाणी के हाथ जुडे के जुडे रह गए। झेंप में नमस्कार की मुद्रा में देर तक रहे आडवाणी के हाथ राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के अभिवादन में काम आ गए जो प्रधानमंत्री के ठीक पीछे चल रहीं थीं।

यह वाकया ऎसे समय हुआ है, जब कांग्रेस के पूरे नेतृत्व ने सोमवार को ही आडवाणी की लौहपुरूष और मजबूत नेता की छवि पर जमकर हल्ला बोला था और इस प्रहार की कमान सम्भालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि कंधार विमान अपहरण के समय लौहपुरूष एकदम पिघल गए थे, जबकि आडवाणी डॉ. सिंह को कमजोर प्रधानमंत्री कहते हुए नहीं अघा रहे हैं।

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