Thursday, July 2, 2009

सिब्बल के सुधारों पर लामबंद

राजग सरकारों के तेवर बता रहे हैं कि मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के लिए शिक्षा क्षेत्र में प्रस्तावित सुधारों पर अमल आसान न होगा। पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री मुरली मनोहर जोशी की पहल पर बुधवार को विपक्षी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक हुई जिसमें राजग संयोजक शरद यादव और लोकसभा में उपनेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज भी मौजूद थीं।जोशी के अनुसार, बैठक में आए शिक्षा मंत्री एक बोर्ड और एक पाठयक्रम के सिब्बल के सुझाव से कतई सहमत नहीं। इस बात पर भी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई गई कि शिक्षा के समवर्ती सूची का विषय होने के बावजूद केंद्र की तरफ से प्रस्तावित सुधारों के बारे में न तो उनसे बात की गई और न ही कोई मसौदा भेजा गया।जोशी के बुलावे पर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री बैठक में आए जबकि गुजरात और बिहार में चल रहे विधानसभा सत्र के कारण इनके मंत्री शामिल नहीं हो सके किन्तु सबने अपनी राय भेजी है। इस बात पर सहमति बनी कि सरकार बाकायदा सुधारों पर रोडमैप बनाए। राजनीतिक दलों, राज्य सरकारों, शिक्षाविदों और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से विस्तृत चर्चा व गहन अध्ययन के बाद ही कोई कदम उठाया जाए। राजग सरकारों के शिक्षा मंत्रियों ने एक मत से कहा कि शिक्षा सबके लिए सुलक्ष और कम खर्चीली होने के साथ वर्तमान युग के अनुरूप भी होनी चाहिए लेकिन उसमें सुधार का मतलब पाठयक्रम व परीक्षा में सुधार नहीं हो सकता। जरूरत अध्यापन स्तर और अध्यापकों की गुणवत्ता को सुधारने की है। अध्यापकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना भी एक बड़ा मसला है।परीक्षा से होने वाले तनाव को दूर करने पर जोर दे रहे केंद्रीय मंत्री को समझना होगा कि सिर्फ परीक्षा से तनाव पैदा नहीं होता। इसके लिए व्यवस्थागत कमजोरियां और उ“ा शिक्षा के अवसरों की कमी भी जिम्मेदार है। शिक्षा क्षेत्र में सुधार सौ दिन या एक साल में नहीं हो सकता। यह दशकों का काम है। सिब्बल जब तक सुधारों का खाका तैयार नहीं कर लेते तब तक हर बात बेमानी है। राजग का मानना है कि पहले प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में सुधार करना चाहिए। उसका यह वादा भी है कि सरकार कोई कारगर योजना सामने रखती है तो विपक्षी गठबन्धन पूरा सहयोग करेगा। सिब्बल अभी सिर्फ हवा में बातें कर रहे हैं। यही कारण है कि कांग्रेसी सरकारों राजस्थान, महाराष्ट्र, केरल के अलावा उड़ीसा और पश्चिम बंगाल ने भी केंद्र सरकार को आपत्ति दर्ज कराते हुए नोट भेजा है।

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