भाजपा से निष्कासित नेता व पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह के लिए यह बड़ा झटका है कि उनके गुरू प्रो. दुर्गा प्रसाद द्विवेदी ने ‘जिन्ना - इंडिया पार्टीशन इंडीपेंडेंस’ में जिन्ना की तारीफ का विरोध किया है।1951-52 में श्री सिंह अजमेर के मेयो कालेज में 8 वीं क्लास में थे, तब वे श्री द्विवेदी के प्रिय स्टूडेंट थे। लंबे समय से खामोशी ओढ़े श्री द्विवेदी ने ‘दैनिक भास्कर से खास बातचीत में कहा कि ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है। जिन्ना के बारे में किसी के अच्छे विचार हो ही नहीं सकते। वे ब्रिटिशर्स के पिछलग्गू थे। उन्हीं की वजह से हिंदुस्तान का विभाजन हुआ।’ इसके बावजूद श्री द्विवेदी का मानना है कि ये श्री सिंह के व्यक्तिगत विचार हैं। हर किसी को अपने विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। उन्होंने श्री सिंह का बचाव करते हुए यह भी कहा कि अनुशासित मानी जाने वाली पार्टी भाजपा को श्री सिंह को एकदम से नहीं निकालना था। उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका देने के लिए पहले नोटिस देना था। श्री द्विवेदी ने मेयो कालेज में रहते हुए पीएससी की परीक्षा दी। टापर के रूप में सलेक्ट होकर नायब तहसीलदार बने। वे अपर कलेक्टर होकर रिटायर हुए। इन दिनों रायपुर में स्वतंत्रता सेनानी पत्नी तारादेवी द्विवेदी के साथ रह रहे हैं।विदेशमंत्री थे तब चिट्ठी लिखी -श्री द्विवेदी ने कहा कि अपने स्टूडेंट को राजनीति में शिखर पर और देश की सेवा करते हुए देखकर काफी फक्र हुआ। जब वे विदेशमंत्री थे तब मैंने उन्हें पत्र लिखा था। उन्होंने इसका जवाब दिया कि ‘आपका पत्र पढ़कर काफी खुशी हुई।’ब्रिलियंट स्टूडेंट और फस्र्ट क्लास स्पीकरश्री द्विवेदी ने स्टूडेंट के रूप में श्री सिंह की दिल खोलकर तारीफ की। उन्होंने बताया कि जसवंत 70 फीसदी से अधिक मार्क्स लाते थे। ज्योग्राफी उनका प्रिय सब्जेक्ट था। वे बेहतरीन स्पीकर थे। वाद-विवाद स्पर्धाओं में बढ़ चढ़कर भाग लेते थे। उन्हें हराना मुश्किल था। फुटबाल और हाकी की टीम उनके बिना अधूरी लगती थी। दुबले-पतले बेहद शालीन व अनुशासित स्टूटेंड थे। मुझे याद नहीं कभी उन्होंने उदण्डता की हो।शायद अनुशासित होने और राजपूत परिवार से होने की वजह से उन्होंने ‘आर्मी’ ज्वाइन की।
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