कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 1984 के सिख विरोधी दंगों में लिप्तता के आरोपों से घिरे कांग्र्रेस प्रत्याशियों जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार को चुनाव मैदान से हटने का निर्देश दिया है। इससे पहले टाइटलर ने साफ कर दिया था कि वे पार्टी नेतृत्व के निर्देश पर उम्मीदवार वापस ले लेंगे। हाल ही पूर्व केन्द्रीय मंत्री टाइटलर को सीबीआई की ओर से दंगों के मामले में क्लीनचिट दिए जाने के बाद से दोनों नेताओं की उम्मीदवारी का विरोध बढ गया था। टाइटलर को क्लीनचिट से नाराज एक पत्रकार के केन्द्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम पर जूता फेंकने की घटना से दोनों नेताओं का जाना तय हो गया था।बुधवार देर रात सोनिया के निवास पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में टाइटलर और सज्जन कुमार से मैदान छोडने का निर्देश देने का फैसला किया गया। इसी क्रम में गुरूवार देर शाम पार्टी प्रमुख ने दोनों की उम्मीदवारी रद्द करने का निर्णय ले लिया। टाइटलर उत्तर-पूर्व दिल्ली और सज्जन कुमार दक्षिण दिल्ली से कांग्रेस उम्मीदवार थे।मैदान से हटने के लिए बढते दबाव के बीच गुरूवार शाम को टाइटलर ने हाईकमान की इच्छा के मुताबिक कदम उठाने का ऎलान कर दिया था। 1984 के दंगों से जुडे इस मामले में न्यायालय की ओर से सुनवाई 28 अप्रैल तक टाल दिए जाने के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि अगर पार्टी चाहेगी तो वह निश्चय ही उम्मीदवारी से हट जाएंगे।उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर मुझे और मेरे परिवार को काफी जिल्लत झेलनी पडी है लेकिन मैं अपनी पार्टी को यह जिल्लत नहीं झेलने दूंगा। कांग्र्रेस नेता ने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी के गृह मंत्री रहने के दौरान भी सीबीआई ने उन्हें क्लीनचिट दी थी। टाइटलर की प्रेस कॉन्फ्रेंस के कुछ देर बाद ही कांग्र्रेस ने टिकट काटने का फैसला सार्वजनिक कर दिया। वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों में सीबीआई द्वारा दी गई क्लीनचिट मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को कोर्ट से कोई राहत नहीं मिल सकी। दिल्ली की अदालत ने मामले की सुनवाई 28 अप्रेल तक स्थगित कर दी। सुनवाई शुरू होने के पहले ही दिल्ली की कडकडडूमा अदालत के बाहर बडी संख्या में सिखों ने प्रदर्शन किया। इस बीच सीबीआई ने कहा है कि वह अपने रूख पर कायम है। टाइटलर के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं। सीबीआई ने केस बंद करने की सिफारिश की थी। गौरतलब है कि टाइटलर को सीबीआई से क्लीनचिट मिलने के बाद से ही सिखों का गुस्सा फूट पडा है। दिल्ली में जिस अदालत में गुरूवार को सुनवाई होनी थी, वहां पर सुबह से ही सिखों का हुजूम जुट गया। इनमें शिरोमणि अकाली दल, आल इँडिया स्टूडेंट फैडरेशन समेत अन्य सिख संगठनों से जुडे लोग थे। इन लोगों ने टाइटलर के खिलाफ नारे लगाए और प्रदर्शन किया। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "टाइटलर को आजीवन कारावास की सजा होनी चाहिए और यदि अदालत उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाती है तो उन्हें फांसी मिलनी चाहिए।
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