उप्र और बिहार में भाजपा के सामने चुनौती भी है और उम्मीद भी। कांग्रेस के मैदान में होने को जहां भाजपा फायदे के रूप में देख रही है, वहीं अपने और सहयोगी दलों के बागियों के कारण उसके पसीने भी छूट रहे हैं। भाजपा को लगता है कि यदि समीकरण ज्यादा नहीं गडबडाए तो स्थिति पिछले चुनाव से बेहतर रह सकती है। उप्र में भाजपा की कहीं हालत बहुत पतली है तो कहीं वह उत्साहित है। उसे पश्चिमी उप्र से बहुत सारी उम्मीदें हैं। रालोद का साथ होने से उसे लग रहा है कि सपा-बसपा जैसे दलों से निपटना उसके लिए आसान हो गया है। इस मुकाबले में अकेले मैदान में उतरकर कांग्रेस ने और तडका लगा दिया है। थोडा आगे चलने पर भाजपा का यह उत्साह ठंडा दिखाई देता है। गोरखपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, जैसे प्रतिष्ठा की सीटों पर भाजपा को काफी पसीना बहाना पड रहा है। पार्टी के एक नेता ने माना कि कुछ सीटों पर पार्टी नफे में है तो कई हाथ की सीटें खिसकने का खतरा भी दिख रहा है। सूत्रों के अनुसार भाजपा कांग्रेस के मैदान में होने से खुश है। उसे लग रहा है कि कांग्रेस के कारण वोटों के होने वाले ध्रुवीकरण का उसे पूरा फायदा मिलेगा जबकि कल्याण सिंह, अजय राय जैसे बागियों के कारण उसके माथे पर चिंता की लकीरें भी दिखाई दे रही है।इसीलिए भाजपा उप्र में अपनी स्थिति मजबूत होने की बात तो करती है, लेकिन सीटों की संख्या बताने से बच रही है। बिहार में भी भाजपा का हाल कुछ इसी तरह का है। जद (यू) के साथ गठबंधन, लालू, पासवान से कांग्रेस का नाता टूटना भाजपा को फायदेमंद लग रहा है। भाजपा नेताओं का मानना है कि जिस तरह का माहौल बिहार में है उससे इस बार लालू यादव का सफाया हो जाएगा। परन्तु मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर भाजपा मन ही मन आशंकित भी है। हाल में कम्युनिस्टों के साथ जिस तरह की उनकी नजदीकी बढ रही है उससे भाजपा खेमे में बेचैनी है।उधर भाजपा दिग्विजय सिंह और जार्ज फर्नाडीस की बगावत की आंच से भी खुद को तपन महसूस कर रही है। हालांकि जद (यू) नेता इनके मैदान में होने से किसी तरह का फर्क नहीं पडने की बात कर रहे हैं, लेकिन इन दोनों के बागी तेवर का असर सबसे अधिक भाजपा के खाते वाली सीटों पर पडने की संभावना है। सूत्रों की मानें तो दिग्विजय सिंह और जार्ज के मामले में भाजपा जिस तरह खामोश रही उससे ये दोनों नेता जद (यू) के साथ भाजपा को भी लक्ष्य करके चल रहे हैं। लोकसभा चुनाव में ऊंट किस करवट बैठता है यह तो समय बताएगा, लेकिन भाजपा की स्थिति थोडा खुशी-थोडा गम वाली है।
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