राजस्थान की मुख्य सचिव कुशल सिंह ने कहा है कि डीजल अनुदान योजना को पूरे राजस्थान में लागू किया जाना चाहिए। योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा दिया जाने वाला 50 प्रतिशत अनुदान का भार भी भारत सरकार द्वारा वहन किया जाना चाहिए।सिंह शनिवार को नई दिल्ली के कृषि मंत्रालय द्वारा मानसून में हुई कम वर्षा के परिपेक्ष्य में कृषि एवं खाद्य सुरक्षा के विषय पर आयोजित राज्यों के मुख्य सचिवों के सम्मेलन में बोल रही थी। प्रदेश में मानसून से कम वर्षा के कारण उत्पन्न हुई विषम परिस्थितियों की ओर भारत सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए सिंह ने कहा कि वर्तमान में लागू की गई अनुदान योजना को प्रदेश में हुई 29 प्रतिशत से कम बारिश व लम्बे समय से बारिश नहीं होने के कारण पूरे प्रदेश में लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा दिया जाने वाला 50 प्रतिशत अनुदान का भार भी भारत सरकार द्वारा वहन किया जाना चाहिए।उन्होंने राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय को प्रेषित 453.46 करोड़ की ग्रामीण पेयजल योजना को तत्काल स्वीकृत करने का आग्रह भी किया। प्रदेश में संभावित अकाल को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के तहत प्रदेश के 26 जिलों में राज्य सरकार द्वारा फसल मुआवजा के लिए दिए जाने वाले लगभग 425 करोड़ रूपए को भारत सरकार द्वारा वहन किए जाने का भी आग्रह किया।उन्होंने बताया कि अभाव अवधि के दौरान गरीबी की रेखा के ऊपर जीवन यापन करने वाले लोगों की स्थिति गरीबी की रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले नागरिकों के समान हो जाती है। ऎसी स्थिति में ए.पी.एल. के तहत वर्तमान के लगभग 64 हजार मैट्रिक टन के गेहूं के आवंटन को बढ़ाकर 1.25 लाख मैट्रिक टन किया जाना चाहिए।अपने प्रस्तुतीकरण के दौरान सिंह ने राज्य सरकार द्वारा खड़ी फसल को बचाने के संबंध में की जा रही कार्यवाही की जानकारी देते हुए राज्य सरकार द्वारा पहली बार खरीफ फसल 2009 की सिंचाई हेतु 1200 करोड़ की बिजली की खरीद का पुनर्भरण भारत सरकार द्वारा किए जाने की बात पर बल दिया। इसके अलावा उन्होंने रबी, 2009 में विद्युत की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु राज्य में निर्माणाधीन केन्द्रीय विद्युत इकाइयों बरसिंगसर आर.ए.पी.पी. (यूनिट 2,5 व 6) को शीघ्र पूर्ण कराए जाने की मांग रखी।
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