Monday, March 9, 2009

जातिगत आधार पर टिकटों के वितरण का मामला उलझ गया

राजस्थान की 25 सीटों के पैनल को केंद्रीय चुनाव समिति के पास भेजे जाने में हो रही देरी के पीछे आपसी खींचतान बडी वजह बताई जा रही है। राजस्थान में गठबंधन से परहेज करने वाली कांग्रेस को विधानसभा में समर्थन देने वाले किरोडी लाल मीणा के लिए कोई न कोई सीट छोडनी पड रही है। इसके चलते कांग्रेस के जातिगत आधार पर टिकटों के वितरण का मामला उलझ सा गया है। पार्टी का जाटों को कम सीटें देने का फार्मूला भी जाट राजनीति के दबाव चलते कारगर नहीं हो रहा है। बडे नेताओं द्वारा भी पार्टी का संकट बढाया हुआ है।पिछले हफ्ते छानबीन समिति की बैठक ने अपनी तरफ से पैनलों को अनौपचारिक रूप से अंतिम रूप दे दिया था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की जयुपर वापसी के बाद उसे औपचारिक रूप से अंतिम रूप दे कर केंद्रीय चुनाव समिति को भेजा जाना था। अब संकेत हैं कि सोमवार को दोनों नेता दिल्ली आ रहे हैं और राजस्थान के पैनलों को औपचारिक रूप से अंतिम रूप दे दिया जाएगा। यदि दोनों नेता सोमवार को नहीं आते हैं तो मामला होली के बाद तक जा सकता है।इस बीच प्रदेश प्रभारी की तरफ से नेताओं से चर्चा करने की बात की तो जा रही है लेकिन कई नेता उपेक्षित भी महसूस कर रहे हैं। जो संकेत मिल रहे हैं उनमें अब किरोडीलाल के लिए दौसा व सवाईमाधोपुर को छोडा जा सकता है। हालांकि उन्हें उदयपुर के लिए राजी किया जा रहा है। भरतपुर के विश्वेन्द्र सिंह को लेकर भी पार्टी दुविधा में है। उन्हें भी टिकट का दावेदार बताया जा रहा है। पार्टी का संकट यह है कि सात सीटें आरक्षित हैं। इसके बाद भी एक और सीट आरक्षित वाले नेताओं के हिस्से में देनी पड सकती है। उधर 8 सीटों पर दावेदारी जताने वाले जाट नेता भी कम पर राजी नहीं दिखते हैं। पार्टी जाटों की उपेक्षा करने की स्थिति में नहीं है।

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