मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने राष्ट्रीय राजनीति में तीसरे मोर्चे के विकल्प को सिरे से नकारते हुए कहा कि थर्ड फ्रंट का युग अब समाप्त हो चुका है। इतिहास गवाह है कि जब कभी तीसरा मोर्चा अस्तित्व में आया उसने राजनीतिक अस्थिरता पैदा की। कांग्रेस के सहयोग से केंद्र में देवेगौडा ने एक साल जबकि इंद्र कुमार गुजराल ने ग्यारह महीने की सरकारें चलाईं। तब से अब तक राजनीतिक-सामाजिक परिदृश्य में भारी बदलाव हो चुका है। जनता स्थिर और प्रामाणिक विकल्प चाहती है जो सिर्फ राजग ही दे सकता है। भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऎलान के बाद तीसरे मोर्चे की संभावनाओं के बाबत मंगलवार को तल्ख टिप्पणी की। उन्होंने दो-टूक कहा कि संप्रग सरकार के पांच साल आम जनता पर भारी पडे। महंगाई ने कमर तोडी तो आतंकी हमले ने निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतारा। सरकार की गलत नीतियों से किसान आत्महत्या पर मजबूर हुए तो शिक्षित बेरोजगारों की फौज खडी हो गई। गरीबों को न रोटी मिल सकी और न ही मकान। ऎसी जनविरोधी सरकार चलाने वाली कांग्रेस और उसके सहयोगियों को चुनाव मैदान में हराकर सुराज और सुशासन देने की क्षमता सिर्फ भाजपा व साथी दलों में है। जनता नए संकल्प और नए एजेंडे वाले राजग को ही संप्रग के विकल्प के रूप में देख रही है। चुनावी मौसम में फिर से थर्ड फं्रट का राग अलापने वाले पूर्व प्रधानमंत्री और जद (एस) के अध्यक्ष देवेगौडा से रविशंकर ने जानना चाहा कि उन्होंने जिन आठ दलों का नाम गिनाया है, सोमवार को दावा करने से पूर्व उनसे राय व बातचीत की थी या नहीं। उन्हें शायद यह याद नहीं कि चाहे चारों लेफ्ट पार्टियां हों या फिर खुद जद (एस), टीआरएस और अन्नाद्रमुक सब कभी न कभी कांग्रेस से पीडित रही हैं। भले देवेगौडा ने यह कहकर कि तीसरे मोर्चे की झोली में आठ राजनीतिक पार्टियां हैं अपनी ताकत का इजहार किया हो पर सच यही है कि बगैर दूसरी ताकत के समर्थन के सरकार बना पाना इनके लिए दूर की कौडी साबित होगा।
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