Saturday, May 9, 2009

भाजपा के लिए अछूत नहीं कांग्रेस

सत्ता की जोड़-तोड़ में "दुश्मनों" का "दोस्त" बन जाना भारतीय राजनीति के लिए नया नहीं है। चुनाव से पहले के झगड़े चुनाव बाद भुला दिए जाते हैं। लेकिन भारतीय राजनीति को दो धु्रव भाजपा और कांग्रेस भी सत्ता की राह में हमसफर बन सकते हैं, ये सोचना जरा मुश्किल है। मगर भाजपा के वरिष्ठ रणनीतिकार सुधींद्र कुलकर्णी का बयान कुछ ऐसा ही चौंकाने वाला है। उन्होंने शनिवार को कहा कि भाजपा के लिए कांग्रेस अछूत नहीं है। अगर व्यापक देशहित के लिए जरूरी हो तो भाजपा उसके साथ भी काम कर सकती है। एक निजी चैनल से बातचीत में कुलकर्णी ने कहा कि भाजपा राजनीतिक अस्पृश्यता में यकीन नहीं करती है। अगर राष्ट्रहित में ये जरूरी हो जाए कि भाजपा और कांग्रेस साथ काम करें तो हम जरूर कांग्रेस के साथ काम करेंगे। भाजपा के पीएम इन वेटिंग लालकृष्ण आडवाणी के करीबी माने जाने वाले कुलकर्णी का ये बयान ऐसे समय में आया है जब लोकसभा चुनाव के चरण संकेत दे रहे हैं कि कांग्रेस या भाजपा में किसी को भी स्पष्ट बहुमत मिलना मुश्किल है। कुलकर्णी ने कहा कि भारत को एक स्थायी सरकार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम जितना मर्जी तू-तू, मैं-मैं कर सकते हैं। लेकिन चुनाव आखिरी चरण में पहुंच गया है। ऐसे में जनता "तू-तू, मैं-मैं" नहीं "तू और मैं" चाहती है। सभी राजनीतिक दलों को एक स्थायी सरकार बनाने की दिशा में मिलकर काम करना होगा। लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण का मतदान होना अभी बाकी है, लेकिन बनने वाली तस्वीर का अंदाजा सभी राजनीतिक दलों को हो चुका है। सरकार के जुगाड़ में कभी राहुल गांधी जयललिता और नीतीश कुमार पर डोरे डालते नजर आ रहे हैं तो कभी भाजपा संप्रग के सहयोगियों को रिझा रही है। तीसरे मोर्चे के छोटे दलों की अहमियत बढ़ती जा रही है। ऐसे में ये तो तय है कि चुनाव नतीजे आने के बाद गठबंधनों की शक्लें काफी बदल सकती हैं। लेकिन भाजपा के वरिष्ठ रणनीतिकार का बयान संकेत देता है कि मतदाता को उसकी उम्मीद से बड़ा झटका भी लग सकता है।

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