Saturday, March 7, 2009

हार का डर सताने लगा है वाम दलों को

वाम दलों को अभी से हार का डर सताने लगा है। उसकी समझ में आ गया है कि इस बार उसका अभेद्य गढ प. बंगाल में भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। नंदीग्राम, सिंगुर मामले पर हाल के चुनावों में वामपंथियों को जिस तरह का झटका लगा है उसका वह लोकसभा चुनाव में व्यापक असर के रूप में देख रहे हैं। संख्या बल पहले से कम होने की संभावना और तीसरे विकल्प के सपने ने वाम धडे के सबसे बडे घटक माकपा के माथे पर चिंता की लकीरे पैदा कर दी हैं। शनिवार को माकपा केन्द्रीय समिति की बैठक में इन्हीं सवालों का हल ढंूढने का प्रयास किया गया। माकपा के सामने सबसे बडी दिक्कत केन्द्र में सरकार बनवाने में खुद की भूमिका को लेकर है। वह ऎसा उपाय तलाश रही है जिससे संख्या बल कम होने के बाबजूद केन्द्र में उसकी पूछ परख बरकरार रहे। सूत्रों के अनुसार माकपा केन्द्रीय समिति की बैठक में बंगाल, केरल के सदस्यों ने माना कि पार्टी इस चुनाव में पुरानी स्थिति को नहीं दोहरा पाएगी। उसके कई कारणों में एक अंदरूनी झगडा, पार्टी के प्रति बढा अविश्वास को माना गया। माकपा नेताओं का मानना था कि संप्रग सरकार को समर्थन देने के बाद दो साल की अवधि ठीक-ठाक रही, लेकिन उसके बाद पार्टी की साख को बट्टा लगने लगा। परमाणु करार मामले को लम्बा खींचना, महंगाई पर ठोस दबाव की नीति नहीं अपनाना तथा सहयोगी दलों की नाराजगी का संदेश भी माकपा के लिए घातक साबित हुआ है। सूत्रों ने बताया कि पार्टी नेता चुनाव बाद गठबंधन को लेकर भी आशंकित दिखे। उन्हें लग रहा है कि लेफ्ट की सीटें कम होने के कारण लोग जुडने से कतरा सकते हैं। वामपंथी खेमा इस समय कई तरह की परेशानियों से खुद को घिरा महसूस कर रहा है। उसके सामने जहां सीटों के घटने का खतरा है, वहीं भविष्य को लेकर संजोए गए सपने के टूटने की आशंका है। लम्बे विचार मंथन के बाद भी माकपा नेताओं को इन परेशानियों का निदान नहीं मिल रहा। माकपा की बैठक में इसके अलावा लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र, राज्यों में चुनाव पूर्व और चुनाव बाद गठबंधन की स्थिति तथा बंगाल, केरल में कांग्रेस, भाजपा से मुकाबले के लिए चुनावी मुद्दों को तराशा गया। सूत्रों ने बताया कि माकपा के घोषणा पत्र में किसानों, मजदूरों के साथ अल्पसंख्यकों को भी इस बार लक्ष्य किया गया है। परमाणु करार को चुनावी मुद्दा बनाने को लेकर पार्टी के भीतर उपजे विवाद पर बीच का रास्ता निकालते हुए पार्टी ने अमरीका विरोधी सुर बंगाल के बाहर बुलंद करने का फैसला किया है।

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