संसद में पहुंचने के ख्वाहिशमंद बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त के अलावा बाहुबली पप्पू यादव, मोहम्मद शहाबुद्दीन, सूरज भान, सुखराम और आनंद मोहन जैसे नेता अपनी सजा स्थगित कराने के वास्ते अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं। इन सभी के रास्ते में एकमात्र बाधा 1951 के जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8 (3) है, जिसके मुताबिक किसी भी अपराध में दोषी ठहराया गया और दो साल से ज्यादा कारावास की सजा प्राप्त व्यक्ति सजा पूरी होने के छह साल बाद तक चुनाव नहीं लड सकता है। आतंकवाद निरोधक अदालत या फिर किसी उ“ा न्यायालय द्वारा सजा सुनाए जाने की सूरत में लोकसभा में दाखिल होने के रास्ते की इस इकलौती बाधा को दूर करने का तरीका उ“ातम न्यायालय का दरवाजा खटखटाना ही हो सकता है। पप्पू यादव को वामपंथी नेता अजीत सरकार की हत्या के सिलसिले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। शहाबुद्दीन को हत्या सहित कई मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है। आनंद मोहन को बिहार के गोपालगंज जिले के जिलाधिकारी जी. कृष्ण्ौय्या की हत्या करने वाली भीड को उकसाने का दोषी ठहराते हुए पटना उ“ा न्यायालय ने उनको भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सूरज सिंह को एक किसान की हत्या का दोषी ठहराया गया है। संजय दत्त ने कुछ ही दिनों पहले सर्वो“ा न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। वे लखनऊ से चुनाव लडना चाहते हैं। उन्होंने पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू के मामले का हवाला देते हुए न्यायालय से 1993 के मुंबई बम कांड में अपने खिलाफ सुनाए गए फैसले को छह वर्ष तक स्थगित करने का अनुरोध किया है। ज्ञात हो कि गैर इरादतन हत्या के एक मामले में दोषी ठहराए गए सिद्धू को सर्वोा न्यायालय ने राहत दी थी जिसकी बदौलत वे अमृतसर उपचुनाव लड सके थे। दत्त की याचिका दाखिल होने से एक दिन पहले ही सर्वो“ा न्यायालय ने अंडरवल्र्ड डॉन बबलू श्रीवास्तव की ऎसी ही याचिका खारिज कर दी थी।
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