Friday, March 6, 2009

किसानों पर वादों की बौछार

भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह एक बार फिर स्वदेशी पद्धति की वकालत करते हुए किसानों के साथ खडे नजर आए। उन्होंने जमीन की तासीर, यहां प्रकृति और समस्याओं को हवाला देते हुए बोले कि देश की अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था वाली कृषि नीति बनानी होगी। विदेशी अर्थव्यवस्था की नकल के फेर में हमने बहुत कुछ खोया है और आगे भी खोते रहेंगे। सिंह ने वादा किया कि राजग की सरकार बनी तो किसानों की समस्या हल करना पहली प्राथमिकता होगी। दिल्ली में शुक्रवार को हुए किसान मोर्चा के सम्मेलन में राजनाथ सिंह ठेठ किसान दिखाई दिए। उन्होंने खेती युक्त जमीन बनाने से लेकर, बोनी, सिचाईं, मिजाई के संबंध में जिस बारीकी से बात की उससे सम्मेलन में आए कृषक भी हक्के-बक्के थे। देशभर के किसानों से राजग की सरकार बनाने में भागीदारी निभाने का आह्वान करते हुए बोले कि देश में लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में एक गांव, गरीब और किसानों की हितैषी सरकार बनेगी जो देश की अर्थव्यवस्था के मजबूत स्तम्भ किसानों की हर परेशानी को दूर कर उन्हें उन्नतिशील करने में कोई कसर नहीं छोडेगी। उन्होंने कहा कि वास्तविक भारत, गांव, गली और किसानों के घर में बसता है। पांच दशक के शासनकाल में कांग्रेस यदि इसे ध्यान में रखकर काम करती तो आज यह नौबत नहीं आती। जब तक भारत के वास्तविक स्वरूप को समझकर योजनाएं नहीं बनेंगी हम विकसित राष्ट्र नहीं बन सकते। देश के किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि किसान की समृद्धि से ही देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। इसके लिए कृषि की स्थिति को समझकर नीति बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राजग सरकार में इसकी कोशिश हुई थी। नदियों को जोडने की परियोजना के पीछे मकसद था देश में सिंचाई का साधन बढाना। गांवों को सडक से जोडने के पीछे भी राजग सरकार का इरादा किसानों को शहर से जोडने का था, लेकिन संप्रग सरकार को उन नीतियों पर चलना ठीक नहीं लगा। उन्होंने वादा किया कि यदि राजग की सरकार बनी तो किसानों को चार प्रतिशत से कम ब्याज दर पर ऋण एवं 50 हजार तक के सभी किसानों के ऋण माफ करने के अलावा कृषि सब्सिडी सीधे किसानों तक पहुंचेगी। नदी जोड परियोजना का कार्य प्रारंभ करेंगे। महाजनी कर्जे से किसानों को मुक्त कराएंगे तथा प्रत्येक किसान को वृद्धावस्था पेंशन दी जाएगी।

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