Friday, March 13, 2009

भाजपा-रालोद गठबंधन में मुश्किलें बढीं

लोकसभा के आगामी चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन को लेकर भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन की मुश्किलें बढ गईं हैं क्योंकि रालोद के कार्यकर्ता और नेता इसे पचा नहीं पा रहे हैं। चुनाव के पहले उभर रहे इस खतरे को समझते हुए दोनों दलों के नेताओं ने कार्यकर्ताओं से मिलने और गठबंधन के होने वाले फायदे के बारे में समझाने का फैसला किया है। भाजपा और रालोद नेता मार्च के अंत से अपने-अपने कार्यकर्ताओं को समझाने के लिए बैठक करना शुरू करेंगे। बैठक में बताया जाएगा कि यदि गठबंधन नहीं हुआ होता तो क्या नुकसान था! गठबंधन होने और रालोद के राजग में शामिल होने के बावजूद इस बात की आशंका बनी हुई है कि सीटों के बंटवारे के बावजूद वोट एक दूसरे को नहीं मिल पाएंगे। इस गठबंधन से रालोद का गुर्जर और मुस्लिम मतदाता खासे नाराज हैं।रालोद विधायक मदन भैया, कांधला से सात बार विधायक रहे पूर्व मंत्री वीरेन्द्र सिंह, पूर्व विधायक मुलक नागर और गुर्जर नेता प्रभुदयाल के अलावा कई बडे नेता भारतीय जनता पार्टी के साथ विरोध में रालोद छोड गए। रालोद महासचिव अशोक गुर्जर ने कहा कि गठबंधन से पार्टी को कोई फायदा नहीं होगा। राज्य में सत्तारूढ बहुजन समाज पार्टी तथा भारतीय जनता पार्टी ने अपना चुनाव प्रचार अभियान 27 मार्च से शुरू होने वाले नवरात्र के दौरान शुरू करने की घोषणा की है। समाजवादी पार्टी तथा कांग्रेस को प्रचार अभियान शुरू करने की तारीख तय करनी है लेकिन इनके नेताओं का कहना है कि यह काम 23 मार्च से शुरू हो रहे प्रथम चरण के नामांकन के बाद शुरू कर दिया जाएगा। कांग्रेस और सपा ने यह साफ नहीं किया है कि क्या वह भी अपना अभियान नवरात्र में ही शुरू करेंगे जैसा बसपा और भाजपा कर रही हैं।

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