Monday, March 9, 2009

भाजपा व कांग्रेस मुख्यालय पर नेताओं का मेला

भाजपा व कांग्रेस मुख्यालय पर आजकल टिकट के लिए छोटे-बडे नेताओं का मेला लगा हुआ है। इस भीड में कश्मीर से कन्याकुमारी और नगालैंड से कच्छ तक की जीवंत तस्वीर देखी जा सकती हैं।चुनावी दंगल के महारथी अपने साथ अनुशासित समर्थकों की फौज लेकर भी आए हैं, जो टिकट बांटने वालों का ध्यान आकर्षित करने के लिए उचित समय पर नारे लगाते हैं। टिकट पाने की प्रक्रिया में सभी महारथी हर दांव खेलने को तैयार है। क्षेत्रीय दलों के कार्यालयों में उतनी भीड नहीं है जितनी कांग्रेस और भाजपा कार्यालयों पर हैं। राकांपा, बसपा, सपा, भाकपा, माकपा, राजद सहित लोजपा जैसी पार्टियों के कार्यालयों के सामने स्थिति सामान्य है। लेकिन इन पर पश्चिम बंगाल तथा केरल से आने वाले लोगों की तादाद कुछ ज्यादा है। इनमें ज्यादातर पार्टियों के मुख्यालय राज्यों की राजधानियों में होने के कारण इनके लिए दिल्ली ज्यादा महत्व नहीं रखती है। लेकिन, इन पार्टियों के प्रभावशाली नेताओं के आवासों पर जमघट लगा हुआ है।राकांपा नेता शरद पवार, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और लोजपा के रामविलास पासवान के घर पर भीड लगी रहती है। यहां तक कि इनेलो और अकाली दल के मुख्यालय भी दिल्ली में नहीं हैं। इसलिए इन दलों के कार्यकर्ता भी अपनी पार्टी के सांसदों के आवासों तक ही सीमित हैं। कांग्रेस और भाजपा मुख्यालय देशभर के पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए मक्का है। यहां सुबह से देर रात तक जन सैलाब उमडा रहता है। भाजपा और कांग्रेस कार्यकर्ता अपनी-अपनी पार्टियों के झंडे के रंग का दुपट्टा अपने गले में डाले टहलते दिखाई देते हैं। जब पार्टी का कोई बडा नेता आता है तो उसे अपनी एक झलक दिखाने के लिए लोगों में होड मच जाती है। बायोडाटा लिए असंख्य हाथ टिकट की उम्मीद में उसकी तरफ बढते हैं। इस बारे में कांग्रेस के एक बडे पदाधिकारी का कहना है कि इस भीड का कोई मतलब नहीं है। भाजपा हो या कांग्रेस लामबंदी से लोगों को टिकट दिए जाते हैं। मुख्यालयों पर नारे लगाने वाले और ेबायोडाटा थामकर चलने वाले तो जैसे आए थे, वैसे ही लौट जाते हैं।

No comments: