Tuesday, May 12, 2009

गठबंधन की राजनीति में एनडीए आगे निकला

16 मई बहुत दूर नहीं रह गई है। क्षेत्रीय दल अपनी ताकत पहचानने लग गए हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों महागठबंधन की ओर बढ़ रहे हैं और आज की तारीख में भाजपा यानी एनडीए बड़ा गठबंधन बना लेगी, इसके आसार नजर आ रहे हैं। साथ ही जरूरी बात यह भी है कि एनडीए और यूपीए दोनों के लिए गठबंधन के साथी क्षेत्रीय जुटाना कठिन साबित हो रहा है। नीतिश कुमार जबसे पंजाब की एनडीए रैली में गए हैं तब से माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस दोनों ने नीतिश कुमार को अपने साथ लाने का अभियान रद्द कर दिया है। जिन नीतिश कुमार ने कांग्रेस को और उनके वाम साथियों को सारे गुण नजर आ रहे थे और जो विकास की मूर्ति दिख रहे थे उन्हें खुद मनमोहन सिंह ने झूठा और सांप्रदायिक घोषित कर दिया। उधर राहुल गांधी ने वामपंथियों के लिए जो लाल कालीन बिछाया था उस पर प्रणब मुखर्जी ने कीचड़ कर दिया है। प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि वामपंथी अपनी अपनी दम पर अगले ढाई सौ साल तक देश में सरकार नहीं बना सकते। बदले में वामपंथियों ने प्रणब मुखर्जी को पिटा हुआ ज्योतिषी करार दे दिया। कांग्रेस जानती है कि जयललिता इस बार दक्षिण भारत में ज्यादा बड़ी ताकत बन कर उभरेंगी मगर वह यह भी जानती हैं कि जयललिता के साथ यूपीए सरकार के दौरान करूणानिधि के कहने पर जो रवैया अपनाया गया है, उसके कारण जयललिता किसी भी हाल में यूपीए का साथ नहीं देने वाली। एनडीए के साथ आना जयललिता की मजबूरी है और हालांकि जयललिता अटल बिहारी वाजपेयी की 13 महीने वाली सरकार गिरने का कारण बन चुकी हैं फिर भी उनका स्वागत करना आज की स्थितियों में भारतीय जनता पार्टी के लिए अनिवार्य से कम नहीं है। मनमोहन सिंह तो चेन्नई के अस्पताल में करूणानिधि से मिल चुके हैं और कह चुके हैं कि डीएमके उनकी साथी है। हालांकि उन्होंने फिलहाल शब्द जोड़ा था लेकिन आप भी जानते हैं कि मनमोहन सिंह यूपीए या कांग्रेस की राजनीति तय नहीं करते। इसके अलावा सोनिया गांधी ने करूणानिधि के साथ रैलियां रद्द कर दी हैं और इसका संदेश भी अच्छा नहीं हैं। अब तो बीजू जनता दल के नवीन पटनायक जो वाम मोर्चे का एक शानदार राजनैतिक शिकार माने जाते रहे थे, कहने लगे हैं कि वे भी चुनाव के बाद ही अपनी राजनैतिक प्राथमिकताएं जाहिर करेंगे। वामपंथी उन्हें दोष नहीं दे सकते क्योंकि वे भी यही भाषा बोल रहे हैं। एनडीए ने नवीन पटनायक के पास अपने दूत चंदन मित्रा को फिर भेज दिया है और कहा है कि वापस आ जाओ। अरूण जेटली ने आज कहा कि जनादेश एनडीए के साथ हैं और आंकड़ों का हिसाब बाद में कर लिया जाएगा।

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