गुलाबी नगर जयपुर के चुनाव मैदान में आखिरी दौर में उतारे गए भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी घनश्याम तिवाडी को अपने व्यक्तित्व और लोकप्रिय सांसद स्वर्गीय गिरधारी लाल भार्गव की लखटकिया जीत के अनुरूप इस परम्परागत गढ़ को बचाए रखने में पसीना छूट रहा है।समय रहते अपनी उम्मीदवारी तय होते ही कांग्रेस के महेश जोशी ने जयपुर संसदीय क्षेत्र में सघन जनसम्पर्क की शुरूआत से बढ़त बना ली और भाजपा के दिग्गज नेता से मुकाबला पर गति बढ़ाते हुए चुनाव प्रचार को हाईटेक बना दिया।राजस्थान के २५ संसदीय क्षेत्रों में राजधानी के इस निर्वाचन क्षेत्र में इस बार सर्वाधिक २५ उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। बहुजन समाज पार्टी, जागो पार्टी और राजस्थान विकास पार्टी के प्रत्याशियों सहित अन्य उम्मीदवार महज गिनती बढ़ाने के लिए है।विश्व का प्रमुख पर्यटन केन्द्र तथा राजधानी होने के नाते जयपुर का विकास स्वाभाविक है। फिर भी स्थानीय समस्याओं में पेयजल, सीवरेज नियमन, मेट्रो रेल, यातायात, पाॄकग इत्यादि समस्याएं चुनावी चर्चा में मुखर हो रही हैं। दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशी अपने हिसाब से वायदों के साथ मतदाताओं को भरोसा दिला रहे है।पूर्व मंत्री और सांगानेर क्षेत्र से विधायक घनश्याम तिवाडी अत्यधिक विलम्ब से उम्मीदवारी घोषित होने के बावजूद मनोवैज्ञानिक तरीके से चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने सांसद के रूप में क्षेत्र, राज्य, राष्ट्र और अन्तर्राराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित करते हुए मतदाताओं को लुभाने वाला घोषणापत्र जारी किया हैं।कांग्रेस प्रत्याशी महेश जोशी अपनी स्वच्छ छवि, पार्टी कार्यकर्ताओं से सक्रिय जुड़ाव तथा किशनपोल विधानसभा क्षेत्र के विधायक कार्यकाल में लोकप्रिय रहे हैं। वह भार्गव स्टाइल में ढूंढाणी भाषा में संबोधन से मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में जी जान से जुटे हैं।दूसरी ओर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी अपने ही घर में भीतरघात की आशंका से डरे हुए हैं। कार्यकर्ताओं तथा सहयोगी नेताओं की मान मनुहार के साथ उनकी गतिविधियों पर भी नजर रखने की उनकी मजबूरी है। स्वर्गीय गिरधारी लाल भार्गव की राजनीतिक विरासत को परिवार से बाहर सौंपने पर उत्पन्न नाराजगी को दूर करने में भी भाजपा को ताकत लगानी पड़ रही है।जयपुर संसदीय क्षेत्र में १६ लाख ८४ हजार मतदाताओं में आधे से अधिक तो ब्राह्मण, वैश्य और मुस्लिम तबके से हैं और शेष अन्य जातियों के मतदाता हैं। भाजपा कांग्रेस दोनों ही दलों के प्रत्याशी ब्राह्मण होने से इस समाज के मतदाताओं का विभाजन स्वाभाविक है। भाजपा को सवर्णो के परम्परागत वोटों तथा कांग्रेस को मुस्लिम तथा अनुसूचित जाति के मतदाताओं से अधिक उम्मीद हैं।आगामी सात मई को मतदान की तिथि नजदीक आने के साथ ही चुनाव प्रचार में तेजी आ गयी है। पूरे संसदीय क्षेत्र में चुनाव कार्यालय खोलने, कार्यकर्ता सम्मेलन, समाजगत बैठकें, जनसम्पर्क अभियान और नुक्कड़ सभाओं के आयोजन हो रहे है।इस संसदीय क्षेत्र में विद्याधर नगर, आदर्श नगर, मालवीय नगर, सिविल लाइन्स और बगरू (सुरक्षित) नवसृजित विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है। हवामहल, सांगानेर और किशनपोल क्षेत्र यथावत है। इन आठ निर्वाचन क्षेत्रों में पांच पर भाजपा और तीन पर कांग्रेस का कब्जा है।वर्ष १९५२ के पहले चुनाव और १९५५ के उपचुनाव में कांग्रेस को मिली सफलता के बाद जयपुर संसदीय क्षेत्र में पं.नवल किशोर शर्मा १९८४ की सहानुभूति लहर में ही चुनाव जीत पाये। इसके अलावा कांग्रेस को हर चुनाव में पराजय का मुख देखना पड़ा।जयपुर की पूर्व राजमाता गायत्री देवी ने स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी के रूप में १९६२ से १९७१ तक लगातार तीन चुनाव जीते। भाजपा के गिरधारी लाल भार्गव ने चुनावी छक्का लगाकर एक कीॢतमान बनाया। भार्गव को सातवीं बार भी उम्मीदवार बनाया गया लेकिन उनकी आकस्मिक मृत्यु से भाजपा का गणित गड़बड़ा गया।
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