Saturday, May 2, 2009

खर्चा 1000, बिल 100 रूपए"

चुनाव लडने वाले उम्मीदवारों के खर्च पर नियंत्रण रखने को लेकर चुनाव आयोग सख्त है। खर्चे पर नजर रखने के लिए आयोग ने तरह-तरह के आदेश भी जारी कर रखे हैं। लेकिन जिला निर्वाचन कार्यालय सिर्फ उम्मीदवारों की ओर से खर्चे के पेश किए जाने वाले बिलों तक ही सिमटा हुआ है। उसके पास जांच के नाम पर कोई संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों ने खर्च जहां एक हजार रूपए किए, वहां बिल सौ रूपए का पेश किया। इन बिलों को कभी क्रास चेक नहीं किया गया। यही सिलसिला लोकसभा चुनाव में भी चल रहा है। उम्मीदवारों के चुनाव खर्चे का ब्यौरा रखने के लिए अलग से प्रकोष्ठ गठित किया गया है। इसमें तीन दर्जन कर्मचारियों की फौज भी है। लेकिन कर्मचारी सिर्फ उम्मीदवारों की ओर से पेश होने वाले बिल को संभालकर रखने काम काम कर रहे हैं। 4 से 6 संदेश दिन रात लोगों के मोबाइल पर 4 से 6 मैसेज दिनभर में आ रहे हैं। यह सिलसिला पिछले कई दिनों से चल रहा है लेकिन निर्वाचन कार्यालय के पास अभी तक इस खर्चे के बिल ही नहीं पहुंचे। कहा जा रहा है कि मोबाइल कम्पनियां जो सूचना भेजेंगी, वही खर्चे में शामिल कर ली जाएगी। यहां भी चेकिंग के नाम पर कर्मचारी व अधिकारी हाथ खडे कर रहे हैं। ये भी घालमेल चुनाव कार्यालयों पर कार्यकर्ताओं के भोजन व नाश्ते पर रोजाना हजारों रूपए खर्च हो रहे हैं, लेकिन बिल नहीं आ रहा। अधिकांश उम्मीदवारों ने नाश्ते का बिल सिर्फ नामांकन दाखिल करने वाले दिन का दिया है। उसमें हजार से दो हजार रूपए का खर्चा बताया गया है। गली-गली कार्यालय उम्मीदवार गली-गली कार्यालय खोल चुके हैं। इसके लिए मौटे किराए पर दुकान व मकान लिए गए हैं। लेकिन खर्चा सिर्फ मुख्य कार्यालय के अलावा दो-तीन कार्यालय का बताया जा रहा है।

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