गांधी ग्राउण्ड में आयोजित सभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सुख-दुख में जनता का साथ देने वाला ही वोट लेने का हकदार होता है।गहलोत ने कहा कि राजस्थान में चाहे अकाल पड़ा हो या फिर बाढ़ जैसी विपदा आई हो सोनिया गांधी हमेशा यहां की जनता का दर्द समझने आई है। यही नहीं जयपुर में बम धमाके हुए तब भी सोनिया गांधी जयपुर आ पहुंची । चामुण्डा माता मन्दिर हादसे में २१४ लोग मारे गए तब सोनिया ने राहुल गांधी को जोधपुर भेज दिया । दूसरी ओर भाजपा का कोई बड़ा नेता संकट में लोगों का दर्द बांटने नहीं पहुंचा । यहां तक वसुन्धरा राजे खुद जोधपुर हादसे के बाद औपचारिकता करती रही। गहलोत ने कहा कि ऐसे लोगोंको वोट मांगने का नैतिक अधिकार नहीं है । जो लोग सुख-दुख में जनता का साथ देते वे ही वोट मांगने के हकदार है । गहलोत ने कहा कि लोकतंत्र में सुख-दुख का साथी कौन है उसे पहचानने की जरूरत होती है । गहलोत ने अपने पुराने दर्द को बयां करते हुए कहा कि गहलोत कर्मचारी विरोधी नहीं है । पिछली बार जब हमारी सरकार थी तो हमने सबसे पहली प्राथमिकता यह तय की कि अकाल में कोई भूखा नहीं मरे । इसके बावजूद विपक्ष वालों ने उस समय चुनाव में गहलोत सरकार को कर्मचारी विरोधी बताकर वोट बटोरने का काम किया मगर बाद में जनता सच्चाई जान गई और इस बार विधानसभा चुनावों में फिर हमें जनादेश दिया ।
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