Wednesday, June 3, 2009

प्रफुल्ल के गले फंसी "ग्राउंड हैंडलिंग" नीति

केन्द्रीय नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री प्रफुल्ल पटेल के सामने उनकी खुद की बनाई ग्राउंड हैंडलिंग नीति लागू कराना चुनौती बन गई है। यह नीति सर्वाधिक ट्रैफिक वाले हवाई अड्डों की सुरक्षा को चाकचौबंद करने के लिए बनाई गई है। इसके लागू होते ही एयरपोर्ट के भीतर से निजी विमानन कम्पनियों का डेरा उठ जाएगा तथा सारा काम सरकार के नियंत्रण वाली कम्पनी के हाथ चला जाएगा। उससे बढने वाले खर्च के अनुपात से परेशान निजी कम्पनियों ने ऎसा दबाव बना दिया है कि सरकार के पसीने छूट रहे हैं। सोमवार को इस मसले पर सरकार ने नए सिरे से बातचीत शुरू की। कम्पनियों के अधिकारियों के साथ नागरिक उड्डयन सचिव माधवन नेवियार ने बैठक कर सहमति बनाने का प्रयास किया। लेकिन कम्पनियों के अडे होने के कारण मामला फिर टल गया।क्या है योजनाकेन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 2008 में ग्राउंड हैंडलिंग नीति की योजना बनाई। पहले यह नीति जनवरी से लागू होनी थी। उसके बाद इसे अगले माह लागू करने का मन बनाया गया, लेकिन इस बार भी सरकार का इरादा पूरा होता नहीं दिख रहा। इसमें एयरपोर्ट के भीतर निजी विमानन कम्पनियों के मशीन और कर्मचारियों को हटाना है। यात्रियों की स्क्रीनिंग, उनका सामान लाने ले जाने, विमान की साफ-सफाई सहित वे तमाम काम जो एयरपोर्ट के अंदर निजी कम्पनियां ठेके के लोगों से कराती है उनका दखल खत्म करना है। उनकी जगह पर सारा जिम्मा सरकार की नियंत्रण वाली एजेंसी के हाथ चला जाएगा। क्या है दिक्कत निजी विमानन कम्पनियां इसका इसलिए विरोध कर रही हैं क्योंकि इस नीति के आते ही उनकी जेब ढीली हो जाएगी। एयरपोर्ट के भीतर उनके यह सारे काम अभी सस्ती दर पर हो जाते हैं। नई नीति लागू होने से उन्हें मध्यम दर्जे वाले विमान की एक खेप पर लगभग 35 हजार का खर्च करना पडेगा।

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