Sunday, June 7, 2009

बीजेपी के सहयोगी गुजरात दंगों से छिटके

बीजेपी के अहम रणनीतिकार सुधीन्द्र कुलकर्णी ने कहा है कि लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार का कारण एनडीए के महत्वपूर्ण सहयोगियों द्वारा गठबंधन का साथ छोड़ना है। कुलकर्णी के अनुसार गठबंधन सहयोगियों ने इस डर से बीजेपी का साथ छोड़ा कि 2002 के गुजरात दंगों के कारण उनका मुस्लिम वोट बैंक छिटक सकता है। बीजेपी ने सहयोगियों के साथ छोड़कर जाने पर कोई कदम नहीं उठाया। बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी के निकट सहयोगी रहे सुधीन्द्र कुलकर्णी ने न्यूज मैगजीन 'तहलका' के ताजा अंक में यह बात कही है। उन्होंने लिखा है कि 2004 के चुनावों में हार के बाद हमारे कई सहयोगियों ने एनडीए का साथ छोड़ दिया। उनके गठबंधन छोड़ने की वजह एनडीए की हार नहीं, बल्कि उनकी यह धारणा थी कि गुजरात के सांप्रदायिक दंगे एनडीए की हार की एक मुख्य वजह थे, इसीलिए वे बीजेपी के साथ रहे तो मुस्लिम उनसे बिदक जाएंगे। बीजेपी ने इस बारे में कदम नहीं उठाया। इसके नतीजतन पार्टी को पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में कोई गठबंधन सहयोगी नहीं मिला। 2009 के आम चुनावों से ऐन पहले बीजेपी ने अपने अक्षम गठबंधन प्रबंधन के कारण उड़ीसा में अहम सहयोगी बीजू जनता दल को गंवा दिया। कुलकर्णी के अनुसार, बीजेपी अगर 1998 और 1999 में सरकार बनाने में सक्षम हुई तो उसका प्रमुख कारण था, अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एक मजबूत गठबंधन बनाने की उसकी क्षमता। कुलकर्णी ने इस संबंध में बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, आंध्र में तेलुगू देशम और तमिलनाडु में पहले एआईएडीएमके और बाद में डीएमके का उदाहरण दिया है, जिनके साथ बीजेपी का गठबंधन था। उन्होंने लिखा है कि उड़ीसा में बीजेडी के साथ गठबंधन भी काफी उपयोगी रहा।NBT

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