Monday, June 8, 2009

खुद को साबित नहीं कर पाए आडवाणी

भाजपा के एक प्रमुख रणनीतिकार ने चुनावी विफलता का विश्लेषण करते हुए कहा है कि पार्टी का नेतृत्व उसके इतिहास में पहले इतना अस्तव्यस्त कभी नहीं रहा और महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर उसके प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी स्वयं अपने नेतृत्व को साबित करने में विफल रहे।आडवाणी के करीबी सहयोगी सुधीन्द्र कुलकर्णी ने लोकसभा चुनावों में भाजपा की हार के बारे में अपनी राय व्यक्त करते हुए इसके लिए हिन्दुत्व को लेकर भ्रम पार्टी के सीमित सामाजिक आधार को बढ़ाने में नाकामी प्रचार अभियान में नकारात्मकता और नेतृत्व में अस्त-व्यस्तता को जिम्मेदार ठहराया। 'तहलका' पत्रिका के लिए लिखे आलेख में कुलकर्णी ने कहा कि भाजपा को मुसलमानों हिन्दुत्व गरीबों आरएसएस और स्वयं अपने बारे में अपनी धारणाओं पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों को बदलाव की जरूरत के बारे में संतुष्ट कर पाने की विफलता के मूल में संगठनात्मक राजनीतिक वैचारिक और प्रचार संबंधी कारण है।कुलकर्णी ने कहा कि इन सबसे बढ़कर चुनाव प्रचार के बीचोबीच वरूण गाँधी प्रकरण हो गया, जिसने अन्य कारणों के साथ मिलकर मुस्लिम वोटों को उत्तरप्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में एकजुट होने में मदद की।उन्होंने कहा कि प्रचार के मध्य में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम उभरने से कोई मदद नहीं मिली। कुलकर्णी ने कहा कि जनसंघ और भाजपा के इतिहास में पार्टी में पहले कभी शीर्ष पर ऐसी अस्तव्यस्तता नहीं रही। केन्द्र में अव्यवस्था तथा राजस्थान उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली जैसे कई राज्यों में हताशा और पार्टी कार्यकर्ताओं में एकजुटता के अभाव से घातक परिणाम सामने आए।उन्होंने कहा कि यह भी सत्य है कि आडवाणी स्वयं प्रचार के पहले और बीच में कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर अपने को साबित करने में विफल रहे।कुलकर्णी ने कहा कि विडंबना देखिए कि सोनिया गाँधी और उनके पुत्र राहुल ने मनमोहन सिंह जैसे कमजोर प्रधानमंत्री को ठोस समर्थन देकर मजबूत दिखाने में सफल हुए। इसके विपरीत भाजपा और संघ परिवार ने आडवाणी जैसे मजबूत नेता जिनका पार्टी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है, को कमजोर असहाय और नियंत्रणविहीन के रूप से दिखने को मजबूर किया।इससे दुखी कुलकर्णी ने कहा कि कई समर्पित पार्टी कार्यकर्ता कहते हैं कि अटलजी प्रधानमंत्री बनने में इसलिए सफल हुए क्योंकि आडवाणीजी ने उनके लिए दृढ़ता और ईमानदारी से काम किया। दुर्भाग्यवश इस बात आडवाणीजी के लिए इसी तरह काम करने वाला कोई आडवाणी नहीं था।भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के प्रमुख सहयोगी सुधींद्र कुलकर्णी द्वारा पार्टी नेतृत्व में अव्यवस्था संबंधी बयान से पार्टी ने दूरी बनाते हुए इसे निजी विचार करार दिया। भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मैं इस लेख पर टिप्पणी नहीं करना चाहूँगा। उन्हें अपने विचार रखने का अधिकार है।

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