Sunday, June 7, 2009

किरोडी की सांसदी पर तलवार!

दौसा संसदीय क्षेत्र से 15वीं लोकसभा में चुने गए निर्दलीय विधायक डॉ. किरोडीलाल मीणा कानूनी पेच में फंस गए हैं। इस कानूनी पेच से उनकी लोकसभा सदस्यता छिन सकती है। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार लोकसभा गठन की अधिसूचना जारी होने से 14 दिन की अवधि में मीणा को विधायकी या सांसदी में से एक को चुनना था। यह अवधि बीत चुकी है। किरोडी का दावा है कि वे विधायकी से इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष दीपेन्द्रसिंह शेखावत कहते हैं कि उन्हें व्यक्तिश: इस्तीफा नहीं मिला। इस्तीफा किसी और के जरिए मिलने की बात पर जहां शेखावत मौन हैं, वहीं मीणा के पास इस्तीफा देने की कोई पावती या प्रमाण नहीं है। विधानसभा की वेबसाइट के हिसाब से किरोडी अभी भी विधायक हैं। लेकिन इस्तीफा देने का दावा करने के बाद वे सांसद पद की शपथ ले चुके हैं। उनके साथ ही सांसद बने एक अन्य विधायक रघुवीर मीणा स्पीकर से मिलकर विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं, जो मंजूर भी हो चुका है।यह कहता है संविधान का अनुच्छेद 101कोई व्यक्ति संसद और किसी राज्य के विधानमण्डल के किसी सदन, दोनों का सदस्य नहीं होगा और यदि कोई व्यक्ति संसद और किसी राज्य के विधानमण्डल के किसी सदन, दोनों का सदस्य चुन लिया जाता है, तो ऎसी अवधि की समाप्ति के पश्चात जो राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए नियमों में विनिर्दिष्ट की जाए, संसद में ऎसे व्यक्ति का स्थान रिक्त हो जाएगा, यदि उसने राज्य के विधानमण्डल में अपने स्थान को पहले ही नहीं त्याग दिया है। क्या हैं नियमलोकसभा या विधानमण्डल, जिसका गठन बाद में हुआ है कि अधिसूचना की तारीख से 14 दिन के भीतर एक सदन से इस्तीफा देना होगा। (दोहरी सदस्यता निषेध नियम 1950)। 15वीं लोकसभा के गठन की अधिसूचना 18 मई को जारी हुई थी।

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